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________________ खुणावत चितलामा अपनी पुत्री के नाम कर दिया । इसीलिए उनकी तमाम सम्पत्ति के मालिक किशनलालजो बगावत हो गये। आपके पुत्र सम्पतलालजी का जन्म संवत् १९७० में पाली में हुभा। सम्पतकालजी भी अपने पिताजी की तरह धर्मध्यान में जादा दिलचस्पी लेते हैं। सेठ चन्दूलाल पन्नालाल लूणावत, सेंदूरजना इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवास स्थान अजमेर के समीप नरवर का था । आप लोग श्री जैन श्वेताम्बर मन्दिर आनाय के सजन हैं। सबसे पहले करीब १०० वर्ष प्रथम इस परिवार के पूर्व पुरुष सेठ महताबमलजी, चन्दूलालजी तथा जेठमलजी राजेगांव होकर सेंदूरजना भाये । इनमें महताबमलजी के कोई संतान न हुई । जेठमलानी के जगवावजी, दुलीचन्दजी, हरकचंदजी तथा कालूरामजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें तृतीय तथा पुन विद्यमान हैं। सेठ जी ने अपने परिवार के म्यापार को खूब बढ़ाया। आपके मोतीलालजी तथा पच लाजी माल पुत्र हुए। मोतीलालजी संक्त् १९५० में स्वर्गवासी हुए। आपके पश्चात् पनाला जीने काम को खूब बढ़ाया। भापकी दुकान मुख्तामा प्रांत में नामांकित फर्म है। आपका र १९२० में हुभा। आपने अपने परिवार की इजत भावरू को भी खुब बढ़ाया। आपके पुत्र सालासी का. १९४७ में जन्म हुआ। कन्हैयालालजी के माणकलालजी तथा चम्पालालजी नामक दो आपकी फर्म पर साहूकारी का बड़ा काम होता है। आपके एक जीनिंग फेक्शी भी है। सेठ जोरावरमलजी लूनावत का खानदान, जयपुर इस खानदान के प्रसिद्ध पुरुष लूणासा के पश्चात् क्रमशः दुधाजी, पदमाजी, खेतसीजी, सोनराजजी, व बेलाजी हुए। लूणावत बेलाजी के देदोजी, रूपोजी तथा रतनाजी नामक चार पुत्र हुए । इम में से रतनाजी के जेतोजी, जयमलजी, पेमाजी तथा लाखाजी नामक चार पुत्र हुए। जेतोजी के फतहरामजी सबा इशारजी नामक दो पुत्र हुए। फतहरामजी के मोतीचन्दजी एवम् सूरतरामजी नामके दो पुत्र हुए। इनमें से मोतीचन्दजी के भैरोंदत्तजी तथा सूरतरामजी के मगनीरामजी, छगनीरामजी, घमंडीरामजी, चौथमाजी, हमारीमकजी तथा हमीरमलजी नामक छः पुत्र हुए। इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान विसर था। वहां से आप लोग बद्दल तथा बड़लू से संवत् १८९५ में सेठ मगनीरामजी जयपुर भागये। तभी से आप लोग जयपुर में ही निवास करते हैं। इस खामदान का सेठ मगनीरामजी से
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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