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राजनैतिक और सैनिक महत्व
कार्य किये , उसी प्रकार भण्डारी रघुनाथसिंहली ने भी किये। उन्हें कई वक्त जोधपुर राज्य की हितरक्षा के लिये मुगल सम्राट की कोर्ट में हाजिर होना पड़ता था और वे अपने काम को बड़ी कुशलता से बना लाते थे।
महाराजा अजितसिंहजी का इनकी योग्यता पर बड़ा विश्वास था। कर्नल वाल्टर साहब का कथन है कि जब महाराजा अजितसिंहजी देहली में विराजमान थे सब भण्डारी रघुनाथसिंह ने अपने स्वामी के नाम से कुछ समय तक मारवाड़ का शासन किया था। यह बात नीचे लिखे हुए दोहे से भी प्रकट होती है।
“करोड़ा द्रव्य लुटायो, हौदा ऊपर हाथ ।
अजे दिली रो पातशा राजा तू रघुनाथ ॥" अर्थात् जिस समय महाराजा अजितसिंहजी दिल्ली पर शासन कर रहे थे उस समय मारवाड़ के भण्डारी रघुनाथसिंह राज्य के सब कार्यों को करते थे।
उपरोक्त बात से राय भण्डारी रघुनाथसिंहजी का राजनैतिक महत्व स्पष्टतया प्रकट होता है। महाराजा मजितसिंहजी ने आपको बड़े २ सम्मानों से विभूषित किया था। आपको भी महाराजा साहब ने पालकी, * हाथी आदि पर बैठने का सम्मान प्रदान कर आपकी सेवाओं की कद्र की थी। इसके अतिरिक भापको "राप" को सर्वोच्च उपाधि भी प्राप्त थी। राज्य के ऊँचे से ऊँचे सरदारों की तरह महाराजा साहब भापको ताजीम देते थे। एक समय महाराजा अजितसिंहजी ने अपने हाथी पर पीछे की बैठक देकर आपका बहुत सम्मान किया था।
कहने का भाशय यह है कि राय भण्डारी रघुनाथसिंहजी अपने समय में जोधपुर राज्य के राजनै. तिक गगन मण्डल में बहुत ही तेजस्विता के साथ चमके थे। इनकी कर्तबगारियों का उल्लेख फ़ारसी इतिहास लेखकों ने तथा तत्कालीन मारवादी ख्यातों के लेखकों ने बहुत ही उत्तमता के साथ किया है। सरकारी कागज़-पत्रों में भी इनके कामों के जगह २ उल्लेख मिलते हैं।
भण्डारी अनोपसिंहजी
भण्डारी अनोपसिंहजी राय भण्डारी रघुनाथसिंह के पुत्र थे। आप बड़े बहादुर तथा रणकुशल थे। आप संवत् १७६७ में महाराजा अजितसिंहजी द्वारा जोधपुर के हाकिम नियुक्त किये गये। कहने की आवश्यकता नहीं कि उस समय की हुकुमत आजकल की सी शांतिमय नहीं थी। आंतरिक इन्तजामी
* उस जमाने में राजपूताने में हाथी तथा पालकी का सम्मान सबसे ऊँचा सम्मान माना जाता था।