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सुराया
और इनके भाइयों से तकाजा किया, जिससे सुराणा बंधु बड़ी तकली में आ गये, और किशनगढ़ आकर किसी प्रकार राज्य से समझौता किया। इसके पश्चात् इधर-उधर यह परिवार व्यवसाय की तलाश में गया। संवत् १९४८ में विजयसिंहजी स्वर्गवासी हुए ।
सुराणा बलदेव सिंहजी के पुत्र सोभागसिंहजी, वीसलपुर दसक गये। विजयसिंहजी के पुत्र गुलराजजी बम्बई गये । हरनाथसिंहजी के पुत्र चौथमलजी दानड़ (मेवाड़) में अपने नाना के यहाँ चले गये । और अनारसिंहजी के पुत्र उगरसिंहजी संवत् १९५२ में निसंतान गुजर गये ।
सुराणा कस्तूरमलजी के राजमलजी और कनकमलजी नामक १ पुत्र हुए। कस्तूरमलजी का संवत् १९६३ में और उनके पुत्र राजमलजी का इनके सम्मुख संवत् १९५६ में स्वर्गवास हो गया । अतएव कनकमलजी अमृतसर आ गये और शिवचंद सोहनलाल कोचर बीकानेर वालों की दुकान पर संवत् १९५७ में नौकर हो गये । इधर १९७७ से आप अमोलकचन्दजी श्रीश्रीमाल भी भागीदारी में अमोलकचन्द कनकचन्द के नाम से कटरा महलू वालियों में शाल तथा कमीशन का व्यापार करते हैं।
सुराणा दीपचन्दजी, अजमेर
सुराणा दीपचन्दजी के पूर्वज सुराणा रायचन्दजी नागौर से रतलाम होकर अजमेर आये । इनके बाद चन्दनमलजी व दानमलजी हुए, इनके समय तक आपके लेनदेन का व्यापार रहा । दानमलजी के पुत्र दौलतमलजी भोले व्यक्ति थे इनके समय में कारबार उठ गया । इनका अंतकाल सम्वत १९८७ में होगया । इनके पुत्र सुराणा दीपचन्दजी का जन्म संवत् १९३९ को हुआ, आप बालपन से ही अजमेर की लोदा फर्म पर सीख पढ़कर होशियार हुए, इधर १० सालों से लोदा फर्म पर मुनीमात करते हैं। आपकी याददाश्त बहुत ऊँची है। अजमेर के ओसवाल खानदानों के सम्बन्ध में आप बहुत जानकारी रखते हैं। आपके पुत्र सुराणा हरखचन्दजी हैं ।
डाक्टर एन० एम० सुराणा, हिंगनघाट
इस परिवार के पूर्वज सौभागमलजी सुराणा मैनपुर राज्य में दीवान के पद पर काम करते थे । वहाँ से राजकीय अनबन हो जाने के कारण उक्त सर्विस छोड़कर हिंगनघाट की तरफ चले आये। इनके पुत्र शेषकरणजी थे, आप संवत् १९७२ में स्वर्गवासी होगये । तब आपके पुत्र नथमलजी सुराणा की आयु केवल ७ साल की थी। इन्होंने अपनी माता की देखरेख में नागपुर से मेट्रिक पास किया। इसके बाद आपने एम० डी० की डिगरी हासिल की। सार्वजनिक कामों में भाग लेने की स्प्रिंट भी आप में अच्छी है ।
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