SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजनैतिक और सैनिक महत्व मुणोत नेणसी और मर्दुमशुमारी कुछ लोगों का कथन है कि मर्दुमशुमारी की पद्धति आधुनिक युग का आविष्कार है। पर दर असल यह बात नहीं है । मौर्य साम्राज्य में मर्दुमशुमारी की प्रथा मौजूद थी और इसका जिक्र कौटिल्य ने अपने सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्र में किया है । पर जान पड़ता है कि इसके बाद बीच में यह प्रथा विलुप्त हो गई थी। क्योंकि बीच में कहीं भी इस प्रथा का उल्लेख नहीं मिलता है। मध्ययुग में मुणोत नेणसी के द्वारा इस प्रथा का आविष्कार देखकार बड़ा आश्चर्य होता है। आपने एक पंचवर्षीय रिपोर्ट लिखी थी। हमने इसकी हस्तलिपि आप के वंशज जोधपुर निवासी श्रीवृद्धराजजी मुणोत के पास देखी थी । इसमें उन्हों ने मारवाड़ के परगने, ग्राम, ग्रामों की आमदनी, भूमि की किस्म साखों का हाल, तालाब, कुए विभिन्न जातियों के वृत्तान्त आदि अनेक विषयों का बड़ा ही सुन्दर विवेचन किया है। हम अपने पाठकों की जानकारी के लिए मुथा नेनसी द्वारा कराई गई मर्दुमशुमारी की कुछ तफसील देते हैं। संवत् १७२० के कार्तिक बदी १० को मेड़ता नगर की मर्दुमधुमारी की गई जिसका परिणाम इस प्रकार है। २१५८ महाजन-ओसवाल, महेश्वरी, अग्रवाल, खण्डेलवाल १३७१ ५५१ १६१ ०५ ३५४ भोजग, खत्री, भाट, निरतकाली २८२ १० २८ ४ १६९ ब्राह्मण पोहकर्ण , राजगुरु, गुर्जरगौड़, पारीख, दाहिमा, सारस्वत ८२ १३ १२ १.० ५. ४ खण्डेलवाल, शिखवाल उपाध्याय, श्रीमाली, गुजराती, गोद, सनाढ्य ५५ कायस्थ-वीसा, दसामाथुर और भटनागर १११ खत्री राजपूत
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy