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सोसवाल जाति का इतिहास
ना सिरेमलजी
भापका जन्म संवत् १९२४ में हुआ। संवत् १९३९ में आप नागौर के हाकिम हुए। इसके पश्चात् सन् १८८९ से ११ तक आप कृष्णा मिल ब्यावर के ऑडिटर रहे। इसके पश्चात् आप एक साल तक घुरू के हाकिम रहे। संवत् १९५६ में आप कस्टम सुपरिण्टेण्डेण्ट हुए। महाराजा जालिमसिंहजी भापके कार्यों से बदे खुश थे। आप दरबार के कुछ समय तक प्राइवेट कामदार रहे थे। इसके पश्चात् कई अच्छे २ स्थानों पर काम करते हुए सन् १९१३ में रेख सुपरिण्टेण्डेण्ट के पद पर नियुक्त हुए । तथा सन १९२६ में इस पद से ग्रेन्यूटी लेकर रिटायर होगये। आपको अपने उत्तम कार्यों के उपलक्ष में कई अच्छे भच्छे सार्टीफिकेट मिले हैं। रिटायर होने के बाद भी भाप रीयां के नावालिगी ठिकाने की व्यवस्था करने के लिए भेजे गये थे । आप बड़े स्पष्ट वक्ता हैं । इस समय आप सिंहसभा 'कुटुम्ब सहायक फण्ड' की मैनेजिंग कमेटी के मेम्बर तथा इन्स्युरेन्स कार्पोरेशन के डायरेक्टर और ओसवाल कन्यामाला के सुपरवाइजर है। आपके मदनसिहजी, सुजानसिंहजी और सज्जनसिंहजी नामक तोन पुत्र हैं । मदनसिंहजी का जन्म संवत् १९४४ में हुआ । एफ. ए. तक पढ़ाई करके आप फलौदी के हाकिम नियुक्त हुए। भापका कम उम्र में ही स्वर्गवास होगया। दूसरे पुत्र सुजानसिंहजी का जन्म सन् १८९१ में हुमा । मापने मैट्रिक तक अध्ययन किया ।
सज्जनसिंहजी ढड्ढा-आप उड्डा सिरेमलजी के तीसरे पुत्र हैं । मापने बी० ए० एल० एल० बी० सक विद्याध्ययन किया। आपका विवाह इन्दौर के प्राइम मिनिस्टर रायबहादुर सिरेमलजी बापना सी. माई... की पुत्री से हुआ। भाप सन् १९१८ में इन्दौर में फर्स्ट क्लॉस मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए। इस कार्य को आप अभी बदी योग्यता से संचालित कर रहे हैं । आप बड़े सज्जन और इतिहास प्रेमी म्यक्तिहै।
___ महा सालमसिंहजी के छोटे पुत्र बदनमलजी संवत् १९४५ में स्वर्गवासी हुए। इनके कुन्दनमलजी और सोमागमकजी नामक र पुत्र हुए । उहा कुन्दनमलजी हैहराबाद में कपड़े का व्यापार करते हैं। संवत् १९६१ में इनका स्वर्गवास हुआ। इनके दत्तक पुन उम्मेदमलजी अजमेर में म्यान का धन्धा करते हैं।