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ओसवाल जाति का इतिहास
सेठ लालचंदजी-आप बीकानेर में बैकिङ्ग का व्यापार करते थे। आपका लेन-देन अक्सर राजा, महाराजा और जागीरदारों के साथ रहता था। ज्योतिष विषय के आप अच्छे जानकार थे । बीकानेर की तरफ से आपको छड़ी तथा चपरास का सम्मान प्राप्त था। आपको समय २ पर कई रुक्के परवाने भी मिले थे। आपके बालचन्दजी और गुनचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। बालचन्दजी के कोई सन्तान न होने से गुनचन्दजी उनके नाम पर दत्तक लिये गये। सेठ गुनचन्दजी भी बड़ी सरल प्रकृति के सज्जन पुरुष थे। दरबार से आपको भी बहुत सम्मान प्राप्त. था। आपका स्वर्गवास संवत् १९६३ में हो गया। भापके मंगलचन्दजी और आनन्दमलजी नामक दो पुत्र हुए।
सेठ मंगलचन्दजी-आप इस परिवार में नामांकित व्यक्ति हुए। जब आप केवल १४ वर्ष के थे तभी से आप व्यापार करने लगे। आपने अपने जीवन में भिन्न भिन्न प्रकार के व्यवसायों का संचालन किया। इनमें कपड़ा, मूंगा और साबुन विशेष हैं। आप कपड़े एवम् मूगे के लिये लन्दन की फर्म मेसर्स "जूलियस कारपल्स" के वेनियन थे। व्यापार को विशेष उत्तेजन प्रदान करने के लिये आपने मद्रास वगैरह स्थानों पर अपनी फमैं स्थापित की थीं। रङ्गपुर में जूट और बैंकिंग का काम करने के लिये भी आपने फर्म स्थापित की थी। इसके अतिरिक्त कलकत्ते के मशहूर साबुन के कारखाने कलकत्सा सोप वसं को आपने खरीद किया। इस समय इस कारखाने में वैज्ञानिक ढंग से साबुन बनाया जाता है। इस कारखाने की स्थापना आचार्य पी० सी० राय के द्वारा हुई थी। यह कारखाना भारतवर्ष में सब से बड़ा माना जाता है। इसका क्षेत्र फल करीब २० बीघा है । सेठ मंगलचन्दजी का स्वर्गवास संवत् १९८९ में हुआ। इसके पूर्व आपके भाई आनन्दमलजी स्वर्गवासी हो चुके थे। आनन्दमलजी के दो पुत्र हुए। बा. बहादुरसिंहजी और बाबू प्रतापसिंहजी। इनमें से प्रतापसिंहजी सेठ मङ्गलचंदजी के नाम पर दत्तक गये।
इस समय इस परिवार में आप दोनों ही भाई विद्यमान हैं । आप लोग मिलनसार और सज्जन व्यक्ति हैं। सेठ बहादुरसिंहजी बीकानेर स्टेट में आनरेरी मजिस्ट्रेट हैं। साथ ही आप म्युनिसिपल मेम्बर भी हैं। प्रतापचन्दजी सुधरे हुए विचारों के देशभक्त सज्जन हैं। आपके नरपतसिंहजी, धनपतसिहजी और इन्द्रसिंहजी नामक तीन पुत्र हैं। कलकत्ता ५० फ्लाईव स्ट्रीट में आपका बैकिंग, जूट, मूंगा और साबुन का व्यापार होता है।