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भोसवान जाति का इतिहास
आपके यहाँ चांदा में पुत्रीलाल लूणकरण के नाम से आवृत, रूई तथा सूती कपड़े का म्यापार होता है तथा वणी, आसिफाबाद (मुगलाई) और कुत्रा पेंड ( निजाम ) में सौभागमल मोतीलाल के नामसे कपड़ा चाँदी सोना और किराने का काम काज होता है। यह फर्म यहाँ के व्यापारिक समाज में उत्तम प्रतिष्ठा रखती है।
सेठ मोतीलाल रतनचंद, लोढा, मनमाड ... इस परिवार के पूर्वज लोदा छजमलजी लगभग १००।१२५ वर्ष पूर्व अपने मूल निवास स्थान बड़ी पाद (जोधपुर स्टेट) से व्यापार के निमित्त मनमाड आये। तथा छजमल सखाराम के नाम से दुकान स्थापित की। आपके मगनीरामजी, हीराचन्दजी, भीवराजजी तथा सखारामजी नामक १ पुत्र हुए। इन बंधुओं का व्यापार लगभग संवत् १९२० में अलग अलग हुआ।
सेठ सखारामजी लोदा ने इस दुकान के व्यापार को बहुत तरक्की दी। आप आस पास के ओसवाल समाज में नामांकित व्यक्ति थे। संवत् १९४७ में सेठ नेनसुखदासजी नीमाणी के प्रयास से जो नाशिक में "भोसवाल हितकारिणी सभा" भरी थी, उसमें आप एक दिन के सभापति बनाये गये थे। भापकी दुकान मनमाड के ओसवाल समाज में नामांकित दुकान थी। संवत् १९५० में भाप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र रतनचंदजी संवत् १९६० में स्वर्गवासी हुए। इस समय इनके पुत्र मोतीरामजी विद्यमान है। लोढ़ा मोतीरामजी का जन्म संवत् १९५५ में हुभा। आप भी मनमाड में अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं तथा जातीय सुधार के कामों में भाग लेते रहते हैं। आपके यहां आसामी लेखदेन का काम होता है।
इसी तरह इस परिवार में इस समय मगनीरामजी के पौत्र (मुलतानमलबी के पुत्र ) धनराज जी और हीराचन्मजी के पौत्र (बनेचन्दजी के पुत्र) फूलचन्दजी किराने का व्यापार करते हैं।
सेठ मुलतानमल अमोल कचन्द लोढ़ा, कातर्णी ( येवला)
इस परिवार का मूल निवास बढ़ी पादू ( जोधपुर स्टेट ) है। देश से सेठ रामसुखजी और भमोलकचन्दजी दोनों भ्राता लगभग ९० साल पूर्व नासिक जिले के कातर्णी नामक स्थान में भाये। पीछे से सम्वत् १९३५ में इनके तीसरे भ्राता भमोलकचन्दजी भी कातर्णी आ गये। सेठ अमोलकचन्दजी के चांदमलजी, मुलतानमलजी, हीराचन्दजी तथा रतनचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें चांदमलजी और रतनचन्दजी विद्यमान हैं। सेठ चांदमलजी रामसुखजी के नाम पर दत्तक गये हैं। भापका कारवार सम्बत् १९.८ में अलग हुआ।