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बोका
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में स्वर्गवासी हुए । आपके हीराचन्दजी और जसराजजी नामक दो पुत्र हुए । इन बन्धुओं में सेठ हीराचंदजी कोदा संवत् १९५३ में स्वर्गवासी हुए । सेठ समनजी बोदा का कारबार बंगलोर में था, आपके पुत्र भानराजजी और पौत्र अबीरचंदजी का २ साल पूर्व छोटी वय में शरीन्ति हो गया। .. .
सेठ हीराचन्दजी लोदा के पुत्र सोभागमलजी और अमोलकचन्दजी विद्यमान है। भाप बन्धुओं का जन्म क्रमशः संवत् १९५० और १९५८ में हुआ बापने लगभग २० साल पूर्व मद्रास प्रान्त के मदुरान्तकम् नामक स्थान में बेकिंग व्यापार भारम्भ किया, और इस दुकान से भक्छी सम्पत्ति उपार्जित की। व्यापारिक कार्मों के अलाका आफ् बन्धु सार्वजनिक शिक्षा प्रचार के कामों में प्रशंसनीय भाग लेते रहते हैं। भाप जैन गुरुकुल ग्यावर के ट्रस्टी है और उसमें । हजार रुपया प्रतिवर्ष सहायता देते हैं।
___ सेठ अमोलकान्दजी गोवा स्था. जैन कान्फ्रेंस की जनरल कमेटी के मेम्बर और बगड़ी की श्री महावीर जैन पाठशाम के सेक्रेटरी है। इसी तरह के धार्मिक, व विद्योधति के कामों में आप सहयोग लेते रहते हैं। बगड़ी के ओसवाल समाज में आपका परिवार बड़े सम्मान की निगाहों से देखा जाता है।
सेठ सोममजी के पुत्र मिश्रीलालजी, धरमीचन्दजी तथा माणकचन्दजी है। मिमीलाजी मुचीक तथा समझदार युक्क हैं । तथा फर्म के व्यवसाय में भाग लेते हैं।
सेठ इन्द्रमलजी लोढ़ा का परिवार, सुजानगढ़ इस परिवार के पूर्वज सेठ बागमलजी लोढा अपने मूल निवास स्थान नागौर में व्यापार करते थे। इनके पुत्र सूरजमलजी तथा चाँदमलजी ने संवत् १९०० में सुजानगढ़ में सूरजमल इन्द्रमल के नाम से दुकान की। सेठ सूरजमलजी ने अपने नाम पर अपने भतीजे इन्द्रमलजी को दत्तक लिया। सेठ इन्द्रमलजी के जीवनमलजी, आनंदमलजी, दौलतमलजी और कानमलजी नामक ४ पुत्र हुए। इन माताओं ने संवत् १९५१ में कलकत्ते में आनंदमल कानमल के नाम से जूट का मापार शुरू किया । संवत् १९६० में एक कपड़े की ब्रांच कानमल किशनमल के नाम से और खोली गई । इन चारो भाइयों ने कठिन परिश्रम कर भपने म्यवसाय को उन्नति पर पहुंचाया। संवत् १९७५ में आप लोगों का कारवार अलग २ हुआ।
सेठ जीवनमलजी-आप सुजानगढ़ में ही कारवार करते रहे इनके पुत्र गणेशमलजी ने अपने नाम पर मरमलजी को दत्तक लिया। झूमरमलजी के पुत्र जीतमलजी इस समय सुजानगढ़ में
. . सेठ मानन्दमलजी-आपने पीरगाछा (बंगाल) और रंगपूर में अपनी प्रांच आनन्दमल किशन• मल के नाम से खोली। इस पर जूट का ब्यापार बारम्भ किया। भापके हाथों से व्यवसाय को उन्नति