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________________ ओसवाल जाति का इतिहास विजयचन्दजी, जयभुपजी, शंकरदासजी, नोवतरायजी भादि २ सज्जन हुए। आप लोगों ने अपनी फर्म की अच्छी उन्नति की। ऐसा कहा जाता है कि यह पहली फर्म बीकानेर स्टेट में ऐसी थी, जिसने सर्व प्रथम ब्रिटिश राज्य में अपनी बैंकिंग फर्म स्थापित की थी। इसका उस समय ईस्ट इंडिया कम्पनी से व्यापारिक सम्बन्ध था। इस विषय में इस परिवार वालों को कई महत्वपूर्ण तसल्लीनामा और परवाने मिले हुए हैं। जो इस समय इस परिवार के पास हैं । आगे चलकर सेठ लाभचन्दजी इस परिवार में प्रतिष्टित व्यक्ति हुए आपने गदर के समय कई अंग्रेजों की जान बचाई थी। इसके उपलक्ष में आपको ब्रिटिश सरकार ने एक प्रशंसा सूचक सार्टीफिकेट दिया है। आपका स्वर्गवास हो गया है। आपके केशरीचन्दजी नामक एक पुत्र हैं। सेठ केसरीचंदजी का जन्म संवत् १९२६ में हुआ । आप बड़े व्यापार कुशल, समाजसेवी और उत्साही सज्जन हैं। आपने अपने प्रभाव से लाखों रुपये एकत्रित कर वारलोन फंड में दिलवाये हैं। इससे प्रसन्न होकर भारत सरकार ने आपको सर्टिफिकेट आफ ऑनर प्रदान किया है । आपका भ्यान सार्वजनिक सेवा की ओर बहुत रहता है। आपने सन् १९१३ में अखिल भारतवर्षीय तेरा पंथी सभा नामक एक संगठित सभा स्थापित करवाने में बहुत कोशिश की है। आप करीब ११ साल तक उसके आनरेरी सेक्रेटरी रहे। आपका तेरा पंथी संप्रदाय में बहुत सम्मान और प्रतिष्ठा है। सन् १९२१ की सेन्सेस के समय आपने बहुत कार्य किया। आपने तेरापंथी संप्रदाय के व्यक्तियों की अलग सेन्सेस की जाय इसकी बहुत कोशिश की। और सारे भारतवर्ष में गणना करने के लिये पृथक प्रबन्ध करवाया। आपने संयुक्त प्रांतीय कौंसिल में पास होने वाले माइनर साधु बिलका घोर विरोध किया और जनमत को अपने पक्ष में करके उसे पास होने से रोक दिया। लिखने का मतलब यह है कि आप प्रतिभा सम्पन्न और कुशल कार्यकर्ता हैं। सिंद स्टेट में आपका अच्छा सम्मान है। चरखी दादरी नामक स्थान पर आपकी पुरानी जायदाद थी वह नजुल की हुई थी। आपके प्रयत्न से महाराजा साहब ने उसे वापस आपके सुपुर्द कर दिया। आपको स्टेट से कुर्सी का सम्मान तथा सिरोपाव प्रदान किया हुआ है। इसी प्रकार बीकानेर, सिरोही और उदयपुर दरबारों की ओर से आपको समय समय सिरोपाव मिलते रहे हैं। इस समय आपकी वय ६४ वर्ष की है। अतएव भाजकल आप चुरू ही में शांति लाभ कर रहे हैं । आपके चार पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः घेवरचन्दजी, मालचन्दजी, गुलाबचन्दजी और डूंगरमलजी हैं । इनमें से प्रथम दो चरखादादरी में स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। शेष दो कलकत्ता में नं. १५ शोभाराम वैशाख स्ट्रीट में बैंकिंग का व्यापार करते हैं। बाबू गुलाबचन्दजी मिलनसार और उत्साही सज्जन हैं। आपका बैकिंग व्यापार केवल अंग्रेजों से होता है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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