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________________ श्रीसवाल जाति का शर्तहास कोठारी छगनलालजी का परिवार कोठारी छगनलालजी - आप बड़े प्रतिभा सम्पन्न और होशियार व्यक्ति थे । प्रारम्भ में आप खजाने के अफसर नियुक्त हुए। इसके बाद आपको फौजबशी का सम्मान मिला । आप जिला सादड़ी, कणेरा, कुम्भलगढ़, मगरा, खेरवाड़ा, राजनगर इत्यादि कितने ही स्थानों में हाकिम रहे। आपको हाकिम देवस्थान और हाकिम महकमें माल का काम भी मिला था। यही नहीं बल्कि आपने कुछ समय तक महकमा खास का काम भी किया। आपके कार्यों से प्रसन्न होकर तत्कालीन महाराणा साहब ने आपको मोरजाइ नामक एक गाँव जागीर स्वरूप प्रदान किया था। इस गाँव को बदल कर संवत् १९११ में महारानी की ओर से सेतूरिया नामक गाँव प्रदान किया गया । संवत् १९३२ में भारत सरकार ने आपको 'राय' की सम्मान सूचक उपाधि प्रधान की थी। महाराणा उदयपुर ने समय २ पर आपको सिरोपाव, सोना और बगीचे के लिये जमीन आपका विशेष परिचय "राजनैतिक और सैनिक महत्व" नामक आपके कोई पुत्र न था । अतएव बनेड़ा से कोठारी मोतीसिंहजी प्रदान कर आपका सम्मान बढ़ाया था । शीर्षक में पृष्ठ ९३ में दिया गया है। दसक आये । कोठारी मोतीसिंहजी —- आपको महाराणा सज्जनसिंहजी ने प्रारम्भ में अफसर खजाना, टकसाल और स्टाम्प मुकर्रर किया । कुछ समय तक आप महकमा देवस्थान और जिला गिरवा के हाकिम भी रहे। आपके कामों से प्रसन्न होकर महाराणा साहब ने आपको कण्डी, सिरोपाव, बैठक आदि का सम्मान प्रदान किया । आपके दलपतसिंहजी नामक एक दत्तक पुत्र 1 आप सिरोही स्टेट में, मजिस्ट्रेट, आबू वकील, असिस्टेंट चीफ मिनिस्टर और कुछ समय के लिए चीफ मिनिस्टर भी रहे। आपको भारत सर कार की ओर से गवर्नमेण्ट फौज में, लेफ्टिनेण्ट का कामीशन इनायत हुआ है । होकर कई अंगरेज हाय अफसरों ने बहुत अच्छे २ सार्टिफिकेट दिये हैं। आपको शिकारखेलने का बहुत शौक है। आपने कई बड़े २ शेरों का शिकार किया है । आपके भँवर गणपतसिंह नामक एक पुत्र हैं। आप अभी बालक हैं, मगर अभी से प्रतिभावान हैं। आपको मिलिटरी कवायद करने का अनहद शौक है। आपके कार्यों से प्रसन्न ओर भी अच्छा है। आपने स्थानीय शीतल आपकी ओर से थोबकी बाड़ी नामक स्थान पर वगैरह में आप खर्च करते रहते हैं । कोठारी मोतीसिंहजी का ध्यान धार्मिकता की नाथजी के मन्दिर को कुछ कोठरियाँ बनवा कर भेंट की हैं। एक धर्मशाला बनी हुई है। इसी प्रकार और भी मन्दिरों २३०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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