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कोठारी चोपड़ा
है। उन्होंने एक ओर तो बागी लोगों के पैरों को वहाँ नहीं जमने दिया, दूसरी ओर बागियों का पीछा करने वाली वृटिश फौज को रसद और दूसरा सामान पहुंचाने की उत्तम व्यवस्था की और तीसरी ओर भिन्न भिन्न स्थानों पर पड़ी हुई वृटिश सेना को, बागी लोगों की गति विधि और उनके मुकामों का संवाद पहुंचाने की व्यवस्था भी आपने की। ये सब काम आपने अत्यन्त फुर्ती और सावधानी से किये । इसके उपलक्ष में भापको कमांडिंग आफीसर के द्वारा लिखे हुए कई सार्टिफिकेट भी प्राप्त हुए । इसी सम्बन्ध में नीमच के बड़े साहब ने कमिवनर अजमेर के जरिये सन् १८५८ में जो रिपोर्ट की, उसका मतलब इस प्रकार है
इन्दौर के वकील ने बागी लोगों के पाटन पहुँचते समय प्रगट किया था कि कोठारी शिवचन्दजी ने अपने आदमियों के साथ संधारे पर डेरा किया है । और वहाँ बहुत अच्छा इन्तजाम कर रक्खा है । कोठारी जी इन्दौर रियासत में बहुत मर्द होशियार और कारगुजार ब्यक्ति हैं। सर हेमिल्टन भी आपके कामों से बहुत खुश हैं। जिस समय हम सरहद के फैसले में गये थे उस समय कोठारीजी से मिलकर हमारी तबियत बहुत प्रसन्न हुई। गदर के समय में इन्दौर, रियासत का अच्छा बंदोबस्त रखते हुए हमको क्षण क्षण में बागियों की खबर देकर बहुत खुश रक्खा। वास्तव में चन्द्रावतों ने रामपुरे में बड़ा सिर उठाया था, मगर कोठारीजी ने अपनी प्रबन्ध कुशलता से रामपुरा को इन्दौर रियासत में बनाए रखा। हमने इनको महाराजा व वृटिश गवर्नमेण्ट का खैरख्वाह समझ कर यह रिपोर्ट किया है ।
इस प्रकार प्रशंसापूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए सन् १८५९ ईस्वी में आपका स्वर्गवास हुआ।
कोठारी सांवतरामजी-कोठारी शिवचन्दजी के कोई संतान न होने से आपके नाम पर कोठारी सावंतरामजी को दत्तक लिया गया। आपका जन्म संवत् १९०१ में हुआ। कहना नहीं होगा कि आप भी अपने प्रतापी पिता के प्रतापी पुत्र थे। आपने भी अपने प्रशंसनीय कार्यों से इस खानदान की इज्जत और आबरू को बहुत बढ़ाया। आपके जिम्मे भानपुरा डिस्ट्रिक्ट का इन्तजामी चार्ज बना रहा और आप इस जिले के इजारदार भी रहे। इस जिले में सावन्तरामजी का प्रबन्ध अत्यन्त अक्लमन्दी और उदारता से भरा हुआ था। आपके समय में सरकारी आमदनी भी खूब जोरों से बढ़ी। खेती वादी और बागवानी में आप बहुत दिलचस्पी रखते थे। अपराधियों के साथ आपका वर्ताव अत्यन्त उदारता और दया से परिपूर्ण रहता था। इनकी उदारता, महानता और कला प्रेम की गाथा आज भी भानपुरा के
*"Kothariji Sahib has kept the district in excellent condition. He is a brave and inteligent ana experienced officer in the Indore State. Infact the Chandrawats bad attempted a rise at Rampura but Kothariji managed them excelently (and presented it ) It was owing to his tastful managemant that the Rampura district remain in the possession of the Holker Maharaja."