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सवाल जाति का इतिहास
अक्षत के स्थान में मोती चेपे गये थे। इतना बड़ा सम्मान रियासत में केवल दीवान को ही मिलता है । साथही आपको हाथी और लवाजमा भी बख्शा गया । संवत् १९१७ में आप श्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र चम्पालालजी बापना भी प्रतिष्ठित महानुभाव थे । आपका संवत् १९४७ में स्वर्गवास हुआ। आपके बाद फर्म के कारवार को आपके उयेष्ठ पुत्र सेठ कन्हैयालालजी ने सम्हाला । आप संवत् १९६१ में स्वर्गवासी हुए । नगरसेठ नन्दलालजी बापना - वर्तमान में नगरसेठ कन्हैयालालजी के पुत्र नगरसेठ नन्दलालजी बापना विद्यमान हैं । आपका जन्म संवत् १९३० के अषाढ़ मास में हुआ। उदयपुर की पंचायत में आपका पहला स्थान है। महाराणा की ओर से आपको पूर्ववत् सम्मान प्राप्त हैं। आपके पुत्र कुँवर गणेशीलालजी बी० ए० एल० एल० बी० मेवाड़ में हाकिम हैं, तथा छोटे पुत्र कुँवर मनोहरलालजी तथा बसंती- कालभी भी उच्चशिक्षा प्राप्त सज्जन हैं। इस समय आपके यहाँ जमीदारी गहनावट और जागीरदारों से लेनदेन का काम होता है ।
सेठ छोगमल प्रतापचन्द बापना, हरदा
इस परिवार के पूर्वज सेठ अचलदासजी बापना लगभग १०० साल पूर्व अपने निवास स्थान मेड़ता से व्यवसाय के निमित्त हरदा आये । आप बड़े कार्य चतुर और बुद्धिमान पुरुष थे। आपने जंगल में दो-तीन गाँव आबाद किये और वहाँ लोगों को बसाया ।
सेठ शोभाचन्दजी बापना - आप अचलदासजी बापना के पुत्र थे । आपने अपने खानदान की जमीदारी सम्पत्ति को बढ़ाने की ओर काफी लक्ष दिया और १५-१६ गाँवों में अपनी मालगुजारी तथा लेनदेन का कारवार बढ़ाया । आप धार्मिक प्रवृत्ति के महानुभाव थे । संवत् १९५२ में आपने हरदा में एक जैन मन्दिर बनवाना आरम्भ किया था । आप हरदा की जनता में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । सर्व साधारण के लाभार्थं आपने यहाँ एक भारी कुआँ खुदवाया था । संवत् १९६२ में आप स्वर्गवासी हुए ।
सेठ छोगमलजी बापना — आप सेठ शोभाचन्दजी बापना के पुत्र थे। आपका जन्म संवत् १९१८ में हुआ । आपने अपने पिताजी द्वारा बनवाये हुए जैन मन्दिर की संवत् १९६७ में प्रतिष्ठा कराई। पिताजी के बाद आपने मालगुजारी के गाँवों में भी उन्नति की, हरदा की जनता में आप सम्माननीय व्यक्ति माने जाते थे । संवत् १९७३ की काती बदी ३ को आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र प्रतापचन्दजी तथा माणकचन्दजी विद्यमान हैं ।
बापना प्रतापचन्दजी का जन्म संवत् १९५१ की भादवा सुदी ४ को हुआ । आप सन् १९१५ से
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