SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 631
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बापना राव होळकर की चावालिगी के समय में आपने अत्यन्त सफलता पूर्वक शासन किया, इससे प्रसन्न होकर गवर्नमेण्ट ने सन् १९३१ की जनवरी में आपको सी० आई० ई० की सम्मानीय पदवी प्रदान की । बापना साहब के शासन की विशेषताएँ श्री बापना साहब के शासन की तारीफ करते हुए ता० १३ मार्च सन् १९९९ के दिन मध्य भारत के भूतपूर्व ए० जी० जी० सर रेजिनॉइड ग्लेम्सी महोदय ने मानिकबाग पैलेस में एक व्याख्यान में निम्नलिखित उद्गार कहे थे : "But I can say you have in Indore an efficient administrative machine, second to none amongst the states, I have seen. You have a Prime Minister and a cabinet genuinely devoted to the good of the states and you have also a number of conscientions officers. I rank the Holkar administration very high amongst the States of India." अर्थात् - " मैं कह सकता हूँ कि आपकी इन्दौर का जितने राज्य मैंने देखे हैं, उनमें इस राज्य की गणना प्रथम श्रेणी में और आपकी केबिनेट ने राज्य की भलाई के लिए अपने आपको अर्पण कई अच्छे २ विवेकी आफिसर भी हैं। मैं भारतवर्ष के देशी राज्यों में बहुत ही उच्च श्रेणी में करता हूँ ।" श्रीमान बापना साहब का शासन कई विशेषताओं से परिपूर्ण रहा है । आपके समय में शिक्षा की अच्छी उन्नति हुई । जहाँ पहले प्रति वर्ष शिक्षा विभाग में ५ लाख रुपये खर्च होते थे, वहाँ आज सात आठ लाख रुपये खर्च होते हैं । आपके समय में एम० ए० और एल० एल० बी० की नवीन क्लासें खोली गईं । रामपुरा और खरगोन में दो हॉय स्कूल खोले गये जो बहुत अच्छी तरह चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त आपके समय में एक ऐसी घटना हुई जिसका इन्दौर राज्य के आधुनिक इतिहास में बड़ा महत्व है । वह यह कि इन्दौर की छावनी जो कि ब्रिटिश अधिकार में थी, इन्दौर राज्य में वापिस आ गई इतना ही नहीं श्रीमान वायसराय महोदय के पास इन्दौर राज्य अधिकार इन्दौर राज्य को छोड़कर और किसी स्टेट को नहीं और साथ हीमानपुर भी स्टेट में आया। का एक प्रतिनिधि भी रहने लगा । यह मिला है। शासन यन्त्र बहुत ही सांगोपांग है । हो सकती है। आपके प्राइम मिनिस्टर कर रखा है। साथ ही आपके यहाँ होल्कर राज्य के शासन की गणना इन्दौर शहर में ड्रेनेज सिस्टिम न होने से शहर के बीच में बहने वाली नदी में शहर के कुछ २०७
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy