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मोसवाल जाति का इतिहास
कोटे में सेठ हमीरमलजी बड़ी चतुरता से अपना कार्य करते रहे। भापकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास ३५ वर्ष की युवावस्था में ही हो गया। उस समय आपके एक पुत्र सेठ राजमलजी थे । पनी का देहान्त हो जाने के पश्चात् आपने अपने कुटुम्बियों के भाग्रह करने पर भी दूसरा ब्याह न कर अन्तिम समय तक ब्रह्मचर्य का पालन किया । दुर्भाग्य से आपके पुत्र रामाजी का देहान्त आपकी मौजूदगी ही में केवल ३५ वर्ष की अल्पायु में हो गया। उस समय राजमकजी के पुत्र सेठ केशरीसिंहजी की उम्र बहुत ही कम थी।
तत्पश्चात् सेठ हमीरमलजी अपने पौत्र सेठ केशरीसिंहजी को धार्मिक और व्यापारिक शिक्षा देते हुए कार्य को सुचारू रूप से चलाते रहे । इनके काल में भी ब्रिटिश गवर्नमेंट तथा देसी राज्यों से बड़ा घरोपा रहा। आपका स्वर्गवास सम्बत् १९५९ में हुआ। दीवान बहादुर सेठ केशरीसिंहजी
आपके पश्चात् आपके पौत्र दीवान बहादुर सेठ केशरीसिंहजी ने इस खानदान के व्यापार का सूत्र अपने हाथ में लिया । आप भी बड़े व्यापार कुशल और धार्मिक वृत्ति के पुरुष है। आपके कुल तीन विवाह हुए, जिसमें आपकी द्वितीय धर्म-पत्नी से आपको कुंवर बुद्धसिंहजी नामक एक पुत्र और एकांकन्या हैं। कुंवर बुद्धसिंहजी बड़े होनहार और कुशाग्र बुद्धि के हैं । भापकी तोनों धर्म-पनियाँ धार्मिक वृत्ति की महिलायें थीं। इन्होंने वृत उद्यापन इत्यादि धार्मिक कार्यों में विपुल द्रव्य खर्च किया। सेठ साहब ने भी करीब चार पाँच दफे सिद्धाचल आदि तीर्थों की यात्रा की जिसमें हजारों रुपये खर्च किये ।
दीवान बहादुर केशरीसिंहजी की ब्रिटिश गवर्नमेंट तथा देशी रियासतों में बहुत इज्जत है। सन् १९१२ के देहली दरबार में गवर्नमेण्ट की तरफ से आपको भी निमन्त्रण मिला था, उस समय आपने राजपूताना ब्लॉक में साठ हजार की लागत का अपना निजी कैम्प स्थापित किया था। आपके कार्यों से प्रसन्न होकर ब्रिटिश गवर्नमेण्ट ने आपको सन् १९१२ में रायसाहब, १९१६ में रायबहादुर और १९२५ में दीवान बहादुर की सम्माननीय उपाधियों से विभूषित किया। इसके अतिरिक्त देवली और नीमच के सिवाय आबू , मेवाड़ एजन्सी और मानपुर के खजाने भी आपके सुपुर्द किये। आपको कोटा, बून्दी, जोरपुर, रतलाम, टोंक इत्यादि रियासतों से पैरों में सोना, जागीर व ताजीम मिली हुई है। भापकी मौजूदा सेठानीजी को भी जोधपुर व बून्दी से पैरों में सोना और ताजीम बख्शी हुई है। केवल इतना ही नहीं प्रत्युत आपके पुत्र, पुत्री, भानेज, श्वसुर, फूफा और दो मुनीमों को भी टोंक रिपासत ने सोना बख्शा है। जब आप टोंक जाते हैं तो वहाँ के एक उचाधिकारी आपकी भगवानी के लिये बहुत दूर तक सामने
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