________________
ओसवाल जाति का इतिहास
काम किया जाता है । इस फर्म के मालिक वर्तमान में सेठ भासकरनजी के पुत्र मुल्तानमलजी, तनसुखलाल जी, जोधराजजी और चौथमलजो हैं । सेठ मुख्तानमलजी का स्वर्गवास हो गया । आप लोगों की ओर से लाडनू में एक पाठशाला चल रही है। भाप लोग जैन श्वेताम्वर तेरापंथी संप्रदाय के अनुयायी हैं।
मेहता सौभागमलजी वेद का खानदान, अजमेर इस प्राचीन परिवार के पूर्वजों का मूल निवास स्थान मेदता (मारवाद) का है। वहाँ से भाप लोग किशनगद, बीकानेर तथा कुचामण होते हुए अजमेर में आकर बसे और तभी से यह खानदान अजमेर में निवास करता है। " . . इस परिवार में मेहता खेतसीजी मेड़ते में बड़े नामांकित साहूकार हो गये हैं। भापके पुत्र
हमलजी के विरपालजी तया बखतावरमलजी नामक दो पुत्र हुए । मेहता थिरपालजी के पुत्र चन्द्रभानजी के हिम्मतराजी, दौलतरामजी, सूरतरामजी तथा मोतीरामजी नामक चार पुत्र हुए। आप चारों भाई सब से प्रथम करीव १२५ वर्ष पूर्व भजमेर आए। फिर मेहता सूरतरामजी का परिवार तो उदयपुर जा बसा, जिनका परिचय मेहता मनोहरमलजी वेद के शीर्षक में दिया गया है। शेष तीनों भाई अजमेर में ही बस गये। आप लोग बड़े ही व्यापार कुशल तथा धार्मिक सजन थे। आपने हजारों लाखों रुपये कमा कर अनेक हवेलियाँ बनवाई; सिद्धाचल और मेड़ते में सदाव्रत खोले तथा कई धार्मिक कार्य किये । मेहता दौलतरामजी के गम्भीस्मलजी नामक एक पुत्र हुए।
मेहता गम्भीरमलजी-आप यहाँ के एक प्रसिद बैकर हो गये हैं। आपके लिए “गम्भीरमल मेहता का तोल, और हुंडी सब की लेवे|मोल" नामक कहावत प्रचलित थी। आपने ८००००) की लागत से पुष्कर का घाट, बनाया। इसके अलावा पुष्कर के नाना के मन्दिर का बाहरी हिस्सा, गौघाट पर महादेव का मन्दिर, खोवरिया भेरू की घाटी और अजमेर में डिग्गी का तालाब आदि स्थान बनवाये इसी प्रकार और भी धार्मिक कार्यों में सहायता दी । आपके इन कार्यों से प्रसन्न होकर लार्ड विलियम वैटिंग ने आपको एक प्रशंसा पत्र लिखा था। आपके प्रतापमलजी एवं इन्द्रमलजी नामक दो पुत्र हुए।
मेहता प्रतापमलजी-आपभी बड़े नामांकित व्यक्ति हो गये हैं । आप बड़े रईस,व्यापार कुशल तथा बुद्धिमान सज्जन थे। आपका व्यापार बहुत बढ़ा-चढ़ा था। कलकत्ता, हैदराबाद, पूना, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, इन्दौर, टोंक, उज्जैन आदि स्थानों पर आपकी फ़ौ थीं। राजपूताने की रियासतों में भी आपका बहुत सम्मान था। जोधपुर-राज्य की ओर से आप ऑनरेरी दीवान के पदपर संवत् १९२३ की कार्तिक