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वेद मेहता भी अलग १ हो गये हैं और डायरेक्ट कपड़े का इम्पोर्ट करते हैं। आप लोगों की फर्मे क्रमशः कैनिंग स्ट्रीट और सूतापट्टी में है। सेठ सागरमलजी चूरू ही में शान्तिलाम करते है।
सेठ जवरीमलजी भी मिलनसार व्यक्ति हैं। बीकानेर स्टेट में आपका अच्छा सम्मान है। आपके गणेशमलजी, रावतमलजी, मोहनलालजी और रामचन्दजी नामक चार पुत्र हैं। सब लोग व्यापार में भाग लेते हैं। इस फर्म का कलकत्ता आफिस ६२ कासस्ट्रीट में उदयचन्द पन्नालाल के नाम से है। इस फर्म पर डायरेक्ट कपड़े का इम्पोर्ट होता है।
___ इस परिवार की चूरू और कलकत्ता में बड़ी २ हवेलियाँ बनी हुई हैं। भाप लोग श्वेताम्बर जैन तेरापंथी सम्प्रदाय के मानने वाले हैं।
वेद परिवार राजलदेसर इस परिवार का प्राचीन इतिहास बड़ा गौरव पूर्ण एवम् कीर्तिशाली रहा है। जिसका जिक हम इसी प्रन्थ में बीकानेर के प्रसिद्ध महाराव वेद परिवार के साथ कर चुके हैं। करीब ५००, ६०० सौ वर्ष पूर्व की बात है जब कि बीकानेर नहीं वसा था-स परिवार के प्रथम पुरुष दस्सूजी जोधपुर और कर यहाँ राजलदेसर से तीन मील की दूरी पर भाये। यहाँ जाकर मापने अपने नाम से वस्स्सर नामक एक गाँव बसाया जो आज भी विद्यमान है। यह गाँव चारणों को दान स्वरूप देविका गला। इसी दस्सूसर में आपने यहाँ के निवासियों के आराम के लिये एक कुवा बनवाया था जिस पर आज भी उनका शिला-लेख लगा हुआ है। यहाँ से आप राजलदेसर आ गये और वहीं रहने लगे।
आपकी कुछ पीढ़ियों के पश्चात् इस खानदान में मेहता हरिसिंहजी बड़े नामांकित व्यक्तिहुए । आप तत्कालीन राजलदेसर के राजा रायसिंहजी के दीवान थे। कहा जाता है कि आपके समय में एक बार किसी शत्रु ने राजलदेसर पर चढ़ाई की थी। इस युद्ध में आप राजा रायसिंहजी के पुत्र कुँवर जयमलजी के साथ जूसार हुए थे। याने अपना सिर कट जाने के पश्चात् भी आप दोनों ही सजन तलवार हाथ में लेकर कुछ मिनिट तक शत्रु सेना का मुकाबला करते रहे थे। जिस स्थान पर आपका सिर गिरा था वह स्थान आज भी "जूझारजी" के नाम से प्रसिद्ध है तथा वहाँ इस वंश वाले अपने यहाँ होने वाले किसी भी शुभ कार्य पर कुरुदेव स्वरूप पूजा करते हैं, जिस स्थान पर आपका शव गिरा वह स्थान आज भी मुथाथल के माम से पुकारा जाता है । इसके अतिरिक्त इस खानदान में मेहता सवाईसिंहजी भी जूंझार हुए। जिस स्थान पर आप जूंझार हुए वह स्थान आजम्ल बीदासर और राजलदेसर के बीच में है और वहाँ आज भी निशान स्वरूप एक गिराहुआ चबूतरा बना हुआ है।