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वेद मेहता
सेठ मेघराजजी-आप भी प्रतिमा सम्पन्न व्यक्ति थे। आपका स्वर्गवास हो गया। इस समय भापके पुत्र बा. सूरजमलजी विद्यमान है। आप बड़े मिलनसार, शिक्षित और सजन पुरुष हैं। आपका म्यापार मेसर्स ताराचन्द मेघराज के नाम से नं. ४ नारायणप्रसाद लेन में होता है। आपके रतनचन्दजी मामक एक पुत्र हैं। सेठ बींजराजजी का परिवार
यह हम उपर लिख ही चुके हैं कि सेठ बीजराजजी पहले अपने भाई के साथ रहे । पश्चात् संवत् १९३४ में अलग हुए । अलग होने पर आपने मेसर्स बींजराज हुकुमचन्द के नाम से कारोबार प्रारंभ किया। इसमें आपको अच्छी सफलता मिली। आपके हुकमचंदजी नामक एक पुत्र हुए।
सेठ हुकुमचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९०७ में हुआ। मापने अपनी व्यापार चातुरी, बुद्धिमानी और होशियारी से फर्म की बहुत तरक्की की। साथ ही भापने फर्म से लाखों रुपया पैदा किया। आपका स्वर्गवास संवत् १९६८ में हो गया। भापके तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः सेठ जसकरनजी सेठ मालचन्दजी, और सेठ दीपचन्दजी था। इनमें से वितीय और तृतीय पुत्र का स्वर्गवास होगया। मालचन्दजी के सोहनलालजी नामक एक पुत्र हैं। भाप नवयुवक और मिलनसार हैं। आपके भी भीखमचन्द नामक एक पुत्र है।
सेठ जसकरनजी-भापका जन्म संवत् १९३३ का है। आप बड़े विद्या प्रेमी सजन है। आपको जैन धर्म की अच्छी जानकारी है। आपका जीवन बड़ा सादा और मिलनसार है। आप हमेशा सार्वजनिक और सामाजिक कार्यों में अपने समय को म्यय करते रहते हैं। भापने रतनगढ़ में एक वणिक पाठशाला स्थापित कर रखी है। इसमें करीब १७५ विद्यार्थी विद्याध्ययन करते हैं। इसके अतिरिक्त आपने यहाँ एक बाल वाचनालय भी स्थापित कर रखा है। भापके इस समय पांच पुत्र हैं। जिनके नाम वा. हूंगरमलजी, मोतीलालजी, गुलाबचन्दजी, मोहनलालजी और लामचंदजी हैं। आप सब भाई मिलनसार और म्यापार चतुर हैं। सोहनलालजी बी० ए० में पढ़ रहे हैं। . .
बाबू दूंगरमलजी के भूरामलजी और नेमचन्दजी, बाबू मोतीलाजी के सुमेरमलजी, दुलिचन्दजी और मेमचन्दजी, बाबू सोहनलालजी के जतनमलजी भौर लाभचंदजी के तेजकरनजी नामक पुत्र हैं।
कलकत्ता, नाटोर, खानसामा (रंगपुर) माथा माँगा (च विहार ), दरवानी ( रंगपुर ) इत्यादि स्थानों पर आपका जूट, जमींदारी और हुँगी चिट्ठी का व्यापार होता है। यह फर्म तमाखू का काम भी करती