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________________ भण्डारी थे। रियासतो सम्बन्धी पुरानी जानकारी भी आपको अच्छी थी। भाप करीव ३ वर्ष तक ओसवाल माति की संघ सभा के प्रेसीडेण्ट रहे। आपने अपने जीवन में अपने पुत्रों के पौत्रों तक को गोद खिलाया था। भापका स्वर्गवास संवत् १९०१ में हो गया। आपके फौजचंदजी, जोधचंदजी, केवलचंदजी, करन चंदजी और गंगारामजी नामक पाँच पुत्र थे। भण्डारी फौजचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९१२ का था। भाप जब २१ साल के थे तब भाप पचपदरा के हाकिम बनाये गये। इसके बाद आपने क्रमशः अदालत अपील जज, भासू वकील, सिविल जज आदि कई ऊँचे २ पदों पर कार्य किया । वृद्धावस्था हो जाने के कारण आपने स्टेट सर्विस से अवसर ग्रहण कर लिया था। दरबार साहब ने आपको भी पालकी, सिरोपाव तथा मोहर बक्श कर सम्मानित किया था। आपका स्थानीय ओसवाल समाज में अच्छा प्रभाव था। भाप ओसवाल संघ सभा के प्रेसीडेण्ट थे। सरदार स्कूल के खुलवाने में आपने बहुत परिश्रम किया । आप कई वर्ष तक उसकी मैनेजिंग कमेटी के प्रेसीडेण्ट रहे। आपका स्वर्गवास हो जाने के पश्चात् आपके स्मारक स्वरूप सरदार हाईस्कूल के सेंटर हाल में आपका चित्र लगाया गया है। आपके खेमचंदजी और बजरंगचंदजी नामक दो पुत्र हैं। खेमचंदजी को दरबार की ओर से पालकी, सिरोपाव, तथा मोहर का सम्मान पास है। आपके पुत्र गोवईनचंदजी जोधपुर के नायब हाकिम हैं। भण्डारी केवलचंदजी अपनी २३ वर्ष की उम्र में बतौर हाकिम के पचपदरा भेजे गये। इसके बाद आप नावा के हाकिम रहे। करीब १६ वर्ष तक आपने अपने पिताजी के स्थान पर अपील अदालत का काम किया। आप म्युनिसिपॉलेटी के मेम्बर भी रहे। आपका जाति में अच्छा सम्मान है। आपके भाई करमचंदजी इस समय जवाहरातखाने की कमेटी के मेम्बर हैं। मंडारी बलवंतचंदजी.-आप पहले पहल एरिनपुर के वकील बनाकर भेजे गये । इसके बाद आप हाकिम मोराठ हो गये। संवत् १९४५ में आप रेसिडेन्सी वकील बनाए गये। महाराजा जसवंतसिंहजी आपकी हाजिर जबाबी से खुश थे। आपका स्वर्गवास हो गया है। आपके सालमचंदजी, जसरूपजी, और रघुवीरचंदजी नामक तीन पुत्र हुए । भण्डारी सालमचंदजी ने मारोठ, परबतसर, डीडवाना, जालोर आदि २ परगनों की हुकुमतें कीं। आपका स्वर्गवास संवत् १९८५ में हो गया। भण्डारी लक्ष्मीचंदजी और केशरीचन्दजी का परिवार (कुशलचन्दोत). भण्डारी कुशलचन्दजी के तीसरे पुत्र भण्डारी साहबचन्दजी के पौत्र ( भण्डारी कस्तूरचन्दजी के पुत्र) भण्डारी लक्ष्मीचन्दजी और केशरीचन्दजी हुए। भण्डारी लक्ष्मीचन्दजी ने जोधपुर दरबार में अच्छा
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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