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________________ पोसवाल जाति का इतिहास - भंडारी उमरावचन्दजी माणकचन्दजी (अनोपसिंहोत ) जोधपुर यह हम पहले लिख ही चुके हैं कि भण्डारी कल्याणदासजी के सब पुत्रों से अलग २ शाखाएँ निकली। यह शाखा भी उनके प्रथम पुत्र जनोपसिंहजी से निकली है। अनोपसिंहजी बड़े वीर पुरुष थे। आपको पैरों में सोना प्राप्त था। आपके पुत्र सरूपचन्दजी मेड़ता के पास होने वाली लड़ाई में काम आये। इनके पुत्र हरकचन्दजी हुकुमत तथा कोतवाली में सर्विस करते रहे। हरकचन्दजी के पश्चात् आपके पुत्र करमचन्दजी और करमचन्दजी के पुत्र धरमचन्दजी हुए आप राणी देवडीजी के कामदार रहे । आपका स्वर्गवास हो गया है । आपके रूपचन्दजी, लालचन्दजी, मानचन्दजी और माणिकचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। इनसे से माणकचन्दजी का स्वर्गवास हो गया है। भंडारी रूपचन्दजी-आप करीब ४० वर्ष तक महकमा हवाले में इन्स्पेक्टर रहे। इस समय आप रिटायर हैं। आपके उमरावचन्दजी, सरदारचन्दजी और सुमेरचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। बड़े पुत्र उमरावचन्दजी ने अपनी कार्य तत्परता से अच्छी उन्नति की । आप मेड़ता, जोधपुर, फलोदी, बाढमेर तथा बिलादेके हाकिम रहे। इसके पश्चात् आप सिटी कोतवाल और मालानी डिस्ट्रीक्ट केज्युडिशियल सुपरें। टेण्डेण्ट बनाए गए । इस पद पर आप वर्तमान में भी कार्य करते हैं। आपको कई प्रशंसा पत्र भी मिले हैं। आपके भाई सरदारचन्दजी बी० ए० हैं। आप प्रारम्भ में रेल्वे में नौकर हुए । पश्चात् पुलिस इंस्पेक्टर बने । फिर कई स्थानों पर हाकिम रहे और आजकल जालौर में हाकिम हैं। आपके भाई सुमेरचच्दजी बी० ए० एल० एल० वी० आजकल जोधपुर में प्रेक्टिस करते हैं। भंडारी लालचन्दजी-आप करीब ३० तक हवाले में नौकरी करते रहे । आजकल आप रिटायर हैं। आपके भाई मामचन्दनी हवाले में इन्स्पेक्टर रहे। आप दोनों भाइयों के कोई संतान नहीं है। भंडारी माणकचन्दजी-करीब ३२ साल से जोधपुर में वकालत कर रहे हैं। आप यहाँ के प्रतिष्ठित और फर्स्टक्लास वकील माने जाते हैं। आपके चार पुत्र हैं। बड़े मुकुनचन्दजी सोजत में हवाला दारोगा है शेष प्रतापचन्दजी, किशोरचन्दजी और भोपालचन्दजी अभी पढ़ रहे हैं। भंडारी बादरमलजी किशनमलजी (परतापमलोत) जोधपुर भण्डारी कल्याणदासजी के चीथे पुन परतापमलजी हुए, इनके वंशज प्रतापमलोत भण्डारी कहलाते हैं। इस परिवार में भण्डारी रूपलालजी, सम्वत् १८९२ में फतेपोल के चौकी नवीस थे। संवत् १८९३ में इनको गॉव नीबाड़ी कला जागीरी में मिली जो १९.० में जत हो गई, ये हस्तरेखा के बड़े जानकार थे।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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