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मुहान
रायचन्दजी का बड़ा सम्मान किया। संवत् १७१६ में महाराजा भापके घर पधारे तथा वहीं भोजन किया। संवत् १७१७ में उक्त महाराजा साहब ने आपको पालदी नामक एक गाँव की जागीर प्रदान की। संवत् १७२३ में आपका स्वर्गवास हो गया।
वृदभानजी-आप महाराजा मानसिंहजी के तन दीवान थे इस कारण आपको हमेशा उनके साथ ही रहकर सेवा करनी पड़ती थी। संवत् १७६५ में आपका स्वर्गवास हो गया।
कृष्णदासजी-आप महाराजा मानसिंहजी कृष्णगढ़ नरेश के राज्य में मुख्य मंत्री रहे । महाराजा साहब सो विशेष कर बादशाह औरंगजेब के पास उसकी सेवा में रहते थे, इस कारण राज्य के सब काम काज आपही के हाथ में थे। संवत् १७५० में महाराज ने आपके कामों से प्रसन्न होकर भापको 'बुहास' नामक जागीर का पट्टा प्रदान किया। वह भापकी विद्यमानता तक बना रहा । संवत् १७५६ में जब भबदुल्लाखाँ भपनी फौज लेकर कृष्णागढ़ में बादशाही थाना जमाने के लिए आया, उस समय मापने उससे युद्ध कर पराजित किया। आपका संवत् १७६३ में स्वर्गवास हो गया।
आसकरणजी-आप महाराज राजसिंहजी के समय में कृष्णगढ़ में संवत् १७६५ में दोवान नियत किये गये। आपने संवत् १८१९ में कृष्णगद के दक्षिण की तरफ एक भास्तिक माता का मन्दिर बनवाया था जो वर्तमान में भी वहाँ मौजूद है। आपके २ पुत्र हुए बड़े देवीचन्दजी तथा छोटे रामचन्द्रजी वर्तमान वंश रामचन्द्रजी का है।
' रामचन्द्रजी-आपने संवत् १७८१ के वर्ष से कृष्णगढ़ के महाराज श्री बहादुरसिंहजी के समय में दीवानगी का काम किया। आपके तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः हठीसिंहजी, सूर्म्यसिंहजी, और बाघसिंहजीं था।
हठीसिंहजी-आपको कृष्णगढ़ महाराजा बहादुरसिंहजी साहब ने १०३१ में दीवानगी का काम प्रदान किया था। इसके साथ ही ताज़ीम तथा हाथी और सिरोपाव प्रदान किया। जिसमें तलवार और कटार देने की विशेष कृपा थी। बाघसिंहजी इसी समय में फौज पक्षी का काम करते थे।
सूर्यसिंहजी-आप भी उपरोक्त महाराजा साहब के समय में जागीर पक्षी का काम करते रहे। आपके ६ पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः पृथ्वीसिंहजी, हिन्दूसिंहजी, हमीरसिंहजी उम्मेदसिंहजी, नवलसिंहजी और श्यामसिंहजी थे ।
इन बन्धुओं में हिन्दूसिंहजी, हमीरसिंहजी तथा नवलसिंहजी के कोई संतान नहीं रही तथा उम्मेदसिंहजी और श्यामसिंहजी का परिवार उदयपुर गया, जिनका परिचय नीचे दिया गया है। सबसे बड़े भाई पृथ्वीसिंहजी का परिवार किशनगद में निवास करता रहा, इनके पुत्र भीमसिंहजी हुए। .
मुहणोत हठीसिंहजी नामाहित व्यक्ति हो गये हैं, भाजकल आपके नाम से किशगगढ़ का
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