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बोसवाल जाति का इतिहास
इसी फर्म की एक ब्राँच यहाँ मूङ्गापट्टी में और है जहाँ प्रतापमल बोथरा के नाम से बर्तनों का व्यापार होता है। इसी प्रकार रंगपुर-माहीगा-में फतेचन्द प्रतापमल और नवाबगंज में सम्पतमल बोथरा के नाम से बर्तन, जूट, और जमींदारी का व्यापार होता है। मेमनसिंह में आपके मकानात बने हैं।
सेठ हीरालालजी भी पहले तो अपने भाई के साथ व्यापार करते रहे, मगर फिर नहीं बनी, अतः अलग-अलग हो गये। आपके कर्मचन्दजी और मगराजजी नामक दो पुत्र हुए। आप लोग भी फर्म का संचालन करते रहे। सेठ कर्मचन्दजी के मिर्जामलजी और सोहनलालजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ मिर्जामलजी सम्वत् १९९० के साल अलग हो गये और गायबंधा में जूट का व्यापार करते हैं। आपके चन्दनमलजी और जयचन्दलालजी नामक दो पुत्र हैं । सेठ मघराजजी के पुत्र हंसराजजी आजकल पाटकी दलाली का काम करते हैं । इस परिवार के लोग तेरापंथी श्वेताम्बर जैन धर्मानुयायी हैं।
सेठ रुक्मानन्द सागरमल, चूरू (बीकानेर)
इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवासस्थान जालोर ( मारवाड़ ) का है। आप लोग भी जैन श्वेताम्बर सम्प्रदाय के तेरापंथी आम्नाय को मानने वाले सजन हैं। इस परिवार वाले जालोर से मंडोवर कोदमदेसर, बीकानेर आदि स्थानों में होते हुए रिणी में आकर बसे । इस परिवार में यहाँ पर पनराजजी हुए। सेठ पनराजजी के सुलतानचन्दजी नामक दो पुत्र हुए । आप दोनों भाई संवत् १८८० में चूर चले गये और वहीं अपनी हवेलियाँ वगैरह बनवाई। - सेठ सुलतानचन्दजी के गणेशदासजी और गणेशदासजी के मिलापचन्दजी नामक पुत्र हुए। आप लोग भोपाल नामक स्थान पर सराफी का कारवार करते रहे। आप सब लोगों का स्वर्गवास हो गया है। सेठ मिलापचन्दजी के सेठ रुक्मानन्दजी एवं सागरमलजी नामक दो पुत्र हुए। .
सेठ रुक्मानन्दजी का जन्म संवत् १९३२ में और सागरमलजी का संवत् १९३५ में हुआ। आप ही दोनों भाइयों ने अपने हाथों से हजारों रुपये कमाये हैं । प्रारम्भ में आपकी स्थिति साधारण थी। भाप दोनों भाई क्रमशः संवत् १९४९ तथा संवत् १९५१ में कलकत्ता व्यापार निमित्त गये। यहाँ पर आपने पहले पहल गुमास्तागिरी और फिर कपड़े की दलाली का काम किया। इन कार्यों में आप लोगों को काफी सफलता मिली और सं० १९६५ में आपने कलकत्ता में 'रुक्मानन्द सागरमल' के नाम से कपड़े की दुकान स्थापित की । संवत् १९७० में इस फर्म पर 'मेसर्स सदासुख गंभीरचन्द' के साझे में जापान और इंग्लैण्ड से कपड़े का दायरेक्ट इम्पोर्ट करना प्रारम्भ किया। तदन्तर संवत् १९८२ से आप लोगों ने