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ओसवाल जाति का इतिहास
सेठ कोनमल नथमल बोथरा, लूनकरणसर (बीकानेर) - इस परिवार के पुरुष करीब ४०० वर्ष पूर्व मारवाड़ से चलकर लूनकरणसर नामक स्थान पर आकर बसे। इसी परिवार में सेठ मोतीचन्दजी हुए। मोतीचन्दजी के पुत्र आसकरनजी भी वहीं देश में रहकर व्यापार करते रहे। सेठ आसकरनजी के हरकचन्दजी और कोड़ामलजी नामक दो पुत्र हुए।
- सेठ हरकचन्दजी और कोदामलजी दोनों ही भाई सम्वत् १९३३ के साल बंगाल में गये । वहाँ जाकर वे प्रथम नौकरी करते रहे। इसके पश्चात् सम्बत् १९४५ में आप लोगों ने कालिमपोंग में अपनी एक फर्म मेसर्स हरकचन्द कोडामल के नाम से स्थापित की और इस पर किराने का व्यापार प्रारम्भ किया। बाप दोनों ही भाई व्यापार-कुशल और मेधावी सजन थे। आपकी व्यापार-कुशलता से फर्म की बहुत तरको हुई। आप लोगों का व्यापार भूटानी, तिब्बती, नेपाली और साहब लोगों से होता है। आप दोनों भाइयों का स्वर्गवास हो गया। हरकचन्दजी के कोई पुत्र न हुआ। कोड़ामलजी के तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः जेठमलजी, ठाकरसीदासजी और नथमलजी हैं। इनमें से तीसरे पुत्र नथमलजी अपने चाचा सेठ हरकचन्दजी के नाम पर दत्तक रहे। ... वर्तमान में आप तीनों ही भाई फर्म का संचालन कर रहे हैं। आप तीनों ही बड़े योग्य और व्यापार कुशल हैं। आप लोगों ने भी फर्म की अच्छी उन्नति की। आपके समय में ही इस फर्म की एक शाखा कलकत्ता नगर में भी खुली। इस फर्म पर कोड़ामल नथमल के नाम से कपड़े का इम्पोर्ट तथा बिक्री का काम होता है। कालिमपोंग में आजकल कोड़ामल जेठमल के नाम से कस्तूरी, ऊनी कपड़ा, ऊन और गल्ले का व्यापार होता है। .
- इस समय सेठ जेठमलजी के दो पुत्र हैं जिनके नाम गुमानमलजी और सोहनलालजी हैं। ठाकरसीदासजी के पुत्रों का नाम नारायणचन्द्रजी और पूनमचन्दजी हैं। सेठ नथमलजी के पुत्रों के नाम मालचन्दजी, दुलिचन्दजी, धर्मचन्दजी और सम्पतरामजी हैं। अभी ये सब लोग बालक हैं। - इस परिवार के सज्जन श्री. जैन तेरापंथी श्वेताम्बर धर्मावलम्बीय सज्जन हैं। आप लोगों ने अपने पिताजी, माताजी, दादाजी और दादीजी के नाम पर लनकरनसर में शहर सारणी की थी, जिसमें आपने बहुत रुपया खर्च किया। लूनकरनसर में इस परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा है। वहाँ तथा सरदार शहर में आपकी सुन्दर हवेलियां बनी हुई हैं।