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লীনা জারি কা হাটহাত
चन्दजी, मोतीचन्दजी के पौत्र (विजयमलजी के दनक पुत्र) हस्तीमलजी और परतापपरूजी के पुत्र ममराजजी हैं। विजयमलजी का 1९०५ में केवल १९ साल को वयमें शरीरान्त हुआ इनके नाम पर हस्तीमलजी को दत्तक लिया है। यह कुटुम्ब सम्मिलित रूप में कार्य करता है।
बोपरा गोपालमलजी का जन्म १९४४ की फागुन सुदी १ को सुगनमलजी का १९५० में मुकुन्दमजी का १९३९ की भादवा वदी १० उदय चन्दजी का १९५४ माघ वदी ९ चन्दनमलजी का १९५८ लक्ष्मीचन्दजी का १९६१, अमोलकचन्दजी . का १९५२ पौष वदी ७, और मगराजजी का १९५२ में हुआ । यह परिवार नागोर के ओसवाल समाज में मुख्य धनिक कुटुम्ब है। भापकी यहाँ कई बड़ी । हवेलियाँ बनी हुई हैं, बंगाल प्रान्त में आपकी दुकानें तथा स्थाई सम्पत्ति है। भाप लोग हरेक धार्मिक व अच्छे कामों में सहायताएँ पहुँचाते रहते हैं। नागौर की श्वेताबम्र जैन पाठशाला में इस परिवार की विशेष सहायता रहती है श्री चन्दनमलजी शिक्षित व्यक्ति हैं। ..
गोपालमलजी के पुत्र जसवन्तमलजी मुकुन्दमलजी के पुत्र बस्तीमलजी, लाभचन्दजी व धनराजजी हैं। इसी तरह इस परिवार के लड़कों में केवलचन्दजी हीराचन्दजी हुलाशचन्दजी और रेखचंद हैं ।
सेठ लक्ष्मणराजजी बोथरा-बाड़मेर इस परिवार के मालिकों का मूल निवास स्थान बीकानेर का है। इस परिवार में देदाजी हुए। भापके सेठ नरसिंहजी, जोराजी तथा शिवदानजी नामक पुत्र हुए। सेठ देदाजी और नरसिंहजी फौज की आगमन के समय मोदी खाने का काम करते थे। सेठ नरसिंहजी के सरदारमलजी, मदूमलजी तथा पसकमाजी नामक पुत्र हुए । जोराजी के रूपाजी नामक पुत्र हुए।
सेठ सरदारमलजी के परसुरामजी तथा सागरमलजी नामक पुत्र हुए। इन दोनों भाइयों ने अपना व्यापार अलग २ कर लिया। परसरामजी के पुत्र जुहारमलजी अपना स्वतन्त्र कारबार करते हैं। सेठ सागरमलत्री के लक्ष्मणराजजी, जेकचन्दजी तथा हीरालालजी नामक पुत्र हुए। इनमें हीरालालजी बोधाजी के नाम पर दत्तक गये।
सेठ लक्ष्मणराजजी ने सन् १९१७ से २३ तक जोधपुर में वकालत की । वर्तमान में भाप बाड़मेर में प्रेक्टिस कर रहे हैं। यहाँ पर आप प्रतिष्ठित सज्जन माने जाते है।
सेठ मदूलाल ब्रजलाल बोथरा बाड़मेर इस परिवार के लोगों का मूल निवास स्थान बीकानेर था। कालांतर से पह कुटुम्ब बाड़मेर में