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ओसवाल जाति का इतिहास
५६ - *खालसे ( काम मेहता अखेचन्दजी देखते थे ) संवत् १८७२ कार्तिक सुदी १ से माघ सुदी ३ तक ५७ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्दराजजी के पुत्र ) १८७२ माघ सुदी ३ से १८७३ भादवा सुदी १४ तक ५४ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के ) संवत् १८७३ की कार्तिक सुदी १२ से वैसाख सुदी १४ तक ५९ – मेहता भखेचन्दजी ( खींवसीजी के पुत्र ) १८७३ की वैसाख सुदी ५ से १८७४ सावण सुदी ३ तक ६०—-मेहता लक्ष्मीचन्दजी ] (अखेचन्दजी के पुत्र) १८७४ सावण सुदी ३ से १८७६ वैसाख सुदी १४ तक ६१ - खालसे ( काम सोजत के मेहता सूरजमलजी करते थे) १८७६ वैसाख सुदी १४ से भाषाद वदी ९ तक ६१ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के पुत्र) १८७६ की भाषाद वदी ९ से १८८१ की चैत्र सुदी ४ तक ६३ - खालसे ( काम सिंघवी फोजराजजी देखते थे) १८८१ की चैत सुदी ४ से १८८२ की पोप सुदी २ तक ६४ - सिंघवी इन्द्रमलजी ( जोरावरमलजी के पुत्र ) १८८२ की पोष सुदी २ से १८८५ कार्तिक वदी १ तक ६५ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के पुत्र ) १८८५ की काती वदी १ से १८८६ सावग वदी ३० तक ३६ - खालसे ( काम सिंघवी गुलराजजी के पुत्र फोजराजजी देखते थे) १८८६ सावण वदी Ss से १८८७ तक ३७ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के पुत्र ) संवत् १८८७ से १८८८ की चेत सुदी ९ तक १८ – सिंघवी, गंभीरमलजी ( फतेमलजी के पुत्र ) १८४८ को चेत खुदी ९ से १८८९ की चेत वदो १३ तक ६९ - मेहता जसरूपजी x ( नाथजी के कामदार ) सं० १८८९ चेत वदी १३ से १८९० काती सुदी ४ तक ७०-खालसे (भण्डारी लखमीचन्दजी काम देखते थे) १८९० काती सुदी ४ से १८९१ सावण वदी १४ तक ७१ – भण्डारी लखमीचन्दजी (कस्तूर चन्दजी के पुत्र) १८९१ सावण वदी १४ से १८९२ माघ वदी १० तक ७१ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के पुत्र ) संवत् १८९२ की माघ वदी १० से वैसाख सुदी १३ तक ०३ - सिंघवी गंभीरमलजी + ( फते चन्दजी के पुत्र) १८९२ वैसाख सुदी १४ से १८९४ सावण वदी ४ तक ७४-भण्डारी लखमीचन्दजी ( कस्तूरचन्द जी के पुत्र ) संवत् १८९४ सावण वदी ४ से आसोज सुदी ४ तक ७५ - सिंघवी फतेराजजी ( इन्द्रराजजी के पुत्र ) संवत् १८९३ आसोज सुदी ७ से १८९५ चेत सुदी १ तक ७६ - सिंघवी गंभीरमलजी ( फतेचन्दजी के पुत्र ) १८९५ की चेत सुदी १ से १८९७ आसोज वदी १२ तक ७७ - सिंघवी इन्द्रमलजी ( जीतमलजी के पुत्र ) संवत् १८९७ की आसोज वदी १२ से वैसाख सुदी १२ तक ७८–भण्डारी लखमीचन्दजी (कस्तूरचन्दजी के पुत्र) १८९७ वैसाख सुदी १२ से १८९८ चेत वदी १४ तक ७९ - कोचर बुधमलजी (सोजत के मेहता सूरजमलजी के पुत्र) १८९० चेत वदी १४ से १८९९ की भा० सु० १२ ८० - सिंघवी सुखराजजी ( बनराजजी के पुत्र ) संवत् १८९९ की भादवा सुदी १२ से मगसर वदी ६ तक
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*इस समय से जोधपुर के राजनैतिक वायु मण्डल में लगभग ३० सालों तक बहुत अधिक उथल-पथल एवं पार्टी बंदियों रही, मतएवं "दीवान" पद भी बहुत जल्द २ परिवर्तित होते रहे 1
+ " दीवान” पद पर इन्होंने ७ बार कार्य्यं किया ।
आप ५ वार दीवान हुए ।
X इनकी तरफ से इनके कामदार पंचोली कालूरामजी इस ओहदे का काम देखते थे । ÷ इन्होंने ४ बार " दीवान" पद पर काम किया ।
नोट --- ध्यान रखना चहिये कि जोधपुर राज्य का राजकीय सम्वत् श्रावण मास में परिवर्तित होता था ।
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