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ओसवाल जाति का इतिहास सेठ महासिंह राय मेघराज बहादुर (चोपड़ा कोठारी) का खानदान, मुर्शिदाबाद
इस परिवार के पूर्व पुरुषों ने जोधपुर और जेसलमेर राज्य में अच्छे २ काम कर दिखाए हैं। ऐसा कहा जाता है कि, ये लोग वहाँ के दीवानगी के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। इन्हीं की सन्ताने किसी कारणवश गैर सर नामक स्थान पर आकर रहने लगी। कुछ वर्षों पश्चात् कुछ लोग तो बीकानेर चले गये एवम् सेठ रतनचन्दजी, महासिंहजी और आसकरनजी तीनों बंधु मुर्शिदाबाद आकर बसे । यहाँ आकर आप लोगों ने अपनी प्रतिभा के बल पर सम्वत् १८१८ में ग्वालपाड़ा में अपनी फर्म स्थापित की। इसमें सफलता मिलने पर कमशः गोहाटी और तेजपुर में भी अपनी शाखाएँ स्थापित की। उस समय इस फर्म पर बैकिंग, रबर और चायबागान में रसद सप्लाय का काम होता था । सेठ महासिंहजी के पुत्र मेघराजजी हुए।
राय मेघराजजी ब.iदुर-आपके समय में इस फर्म की बहुत तरक्की हुई और बीसियों स्थानों पर इसकी शाखाएँ स्थापित की गई । आप बड़े व्यापार चतुर पुरुष थे। भारत सरकार ने आपके कार्यों से प्रसन्न होकर सन् १८६७ में आपको "राय बहादुर" के सम्मान से सम्मानित किया। आपका सन् १९०१ में स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र बाबू जालिमचन्दजी और प्रसन्नचन्दजी-सन् १९०७ में अलग २ हो गये।
सेठ जालिम चन्दजी का परिवार-सेठ जालिमचन्दजी भी बड़े धार्मिक और व्यवसाय-कुशल व्यक्ति थे। आपके पाँच पुत्र हए जिनके नाम क्रमशः बा० धनपतसिंहजी, लक्ष्मीपतसिंहजी, खड़गसिंहजी, जसबन्तसिंहजी और दिलीपसिंहजी हैं । आप सब लोग बड़े मिलनसार और शिक्षित सजन हैं। वर्तमान में आप लोग उपरोक्त नाम से व्यवसाय कर रहे हैं । आपकी फमैं इस समय तेजपुर. ग्वालवाड़ा, गोहाटी, विश्वनाथ, बड़गाँव, उरांग, माणक्याचर, मुर्शिदाबाद, धुलियान, युटारोही, जीयागंज, सिराजगंज, बालीपाड़ा, पुरानाघाट, नयाघाट, आदमबाड़ी, बुढ़ागांव, चुढैया, पामोई, टांगामारी, सांकूमाथा, गंभीरीघाट, कदमतल्ला जांजियां, फूलसुन्दरी, सड़ानी, बांसवाड़ी, सूर्सिया, बड़गाँव हाट, पावरी पारा, लावकुवा, गोरोहित इत्यादि स्थानों पर हैं। इन सब पर जमींदारी, जूट और बैकिंग का व्यापार होता है।
सेठ प्रसन्नचंदजी का परिवार-सेठ प्रसन्नचन्दजी ने अलग होने के बाद "प्रसन्नचन्द फतेसिंह" के नाम से व्यापार प्रारम्भ किया। आपका स्वर्गवास हो गया। इस समय आपके भंवरसिंहजी और
तेसिंहजी नामक दो पुत्र है. इनमें से भंवरसिंहजी का स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र कमलपतसिंहजी हैं। बाबू फतेसिंहजी मुर्शिदाबाद में व्यापार करते हैं । तथा कमलपतसिंहजी कलकत्ता में रहते हैं यह परिवार मन्दिर सम्प्रदाय का अनुयायी है।
___ चौपड़ा राजरूपजी का खानान, गंगाशहर इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवास स्थान मण्डोवर का था। वहाँ से इस खानदान के पूर्व पुरुष का कापड़ेद, कुचौर तथा देराजप्सर में आकर बसे थे। तदनंतर सम्वत् १९६७ में इस खानदान के वर्तमान पुरुष श्री छौगमलजी चौपड़ा गंगा शहर आकर बस गये तभी से आप लोग गंगाशहर में निवास कर रहे हैं । इस खानदान में सेठ राजरूपजी हुए। आपके रतनचन्दजी दुर्गदासजी, करमचन्दजी, हरकचंदजी सरदारमलजी तथा ताजमलजी नामक छः पुत्र हुए।
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