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मीसवाल जाति का इतिहास
का कलकत्ता व चुरू की ओसवाल समाज में अच्छा सम्मान था। आप चुरू पिंजरापोल के सभापति भी रह चुके थे। भापके विवार बड़े सुधरे हुए थे। आपने अपनी मृत्यु के समव ५००००) का एक बृहद् दान निकाला है जिसका एक ट्रस्ट भी कायम कर गये हैं। इस दान की रकम का उपयोग विधवाओं को सहायता पहुँचाने तथा जात्योन्नति के कार्यों में किया जायगा। इस दान के अतिरिक्त आपने चुरू और कलकत्ता की कई संस्थाओं को बहुत द्रव्य दान दिया है। आप कोई पुत्र न होने से सेठ शोभाचन्दजी के पौत्र (सेठ तिलोकचन्दजी के पुत्र) पाबू हनुतमलजी आपके नाम पर दत्तक आये हैं। आप बड़े मिलनसार एवं उत्साही नवयुवक हैं। भाप का इस समय मेसर्स "हरचन्दराय मुन्नालाल" और "मुन्नालाल हनुतमल" के नाम से बैङ्किग तथा किराया का स्वतन्त्र काम होता है। आप ओसवाल तेरापन्थी विद्यालय के सेक्रेटरी रह चुके हैं। वर्तमान में आप "ओसवाल नवयुवक समित" की ओर से व्यायामशाला के खास कार्यकर्ता हैं।
सेठ शोमाचन्दजी का परिवार-सेठ शोभाचन्दजी भी मिलनसार, समझदार तथा व्यापार कुशल सज्जन थे। आप अपने भाई के साथ व्यापारिक कामों से बड़ी कुशलता और तत्परता के साथ सहयोग प्रदान करते रहे । आपका धार्मिक कार्यों की ओर भी अच्छा लक्ष्य था। मगर कम वय में ही आपका स्वर्गवास होगया। आपके स्वर्गवास के पश्चात् आपकी धर्मपत्नी श्रीमती नौनाजी ने तेरापन्थी सम्प्रदाय में दीक्षा ग्रहण करली । आप इस समय विद्यमान हैं । आपके पुत्र तिलोकचन्दजी हैं ।
सेठ तिलोकचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९४० में हुआ। आप प्रारंभ से ही व्यापार कुशल बुद्धिमान तथा समझदार सज्जन हैं। आर इस समय कलकत्ता व थकी प्रांत की ओसवाल समाज के प्रमुख कार्य कर्ताओं में से एक हैं। आप मारवाड़ी चेम्बर ऑफ कामर्स, मारवाड़ी एसोसिएशन, जैन श्वेताम्बर तेरापन्थी सभा, जैन श्वेताम्बर तेरापन्थी विद्यालय, विशुद्धानन्द सरस्वती विद्यालय व अस्पताल, मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी, मारवाड़ी ट्रेड एसोसिएशन, चुरू पीजरापोल, ओसवाल सभा, ओसवाल नवयुवक समिति आदि कई संस्थाओं के सेक्रेटरी, उपसभापति व सभापति आदि पदों पर कई बार काम कर चुके हैं। प्रायः ओसवाल समाज की सभी सार्वजनिक सभाओं में आप पूर्ण रूप से सहायता देते तथा उसमें प्रमुख भाग लेते हैं। बिहार रिलीफ फण्ड में आपने आर्थिक सहायता पहुँचा कर बहुत से
ओसवाल नवयुवकों को सेवा कार्य के लिये बिहार भेजने में बहुत कोशिश की थी। इसी प्रकार की अन्य सार्वजनिक सेवाओं में आप भाग लेते रहते हैं। आके हनुतमलजी, हिम्मतमलजी, बच्छराजजी तथा हंसराजजी नामक चार पुत्र हैं। इनमें बाबू हनुतमलजी, सेठ मुन्नालालजी के नाम पर दत्तक गये हैं। शेष सब भाई मिलनसार सज्जन हैं। बाबू हिम्मतमलजी एवं बच्छराजजी व्यापार में भाग लेते हैं तथा हंसराजजी पढ़ते हैं । आपका इस समय कलकत्ता में 'हरचन्दराय शोभाचन्द' 'सुराना ब्रदर्स, 'लिलोकचन्द हिम्मतमल' के नामों से जमीदारी, बैकिग, जूट वेलिंग व शिपिंग का काम होता है तथा जैपुरहाट (बोगड़ा) में आपका एक राइस मिल चल रहा है। यह फर्म कलकत्ते की ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित समझी जाती हैं। इस फर्म की यहां पर बड़ी २ इमारतें बनी हुई हैं।