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________________ ओसवाल जाति का इतिहास किया। तथा इधर संवत् १९८१ से बम्बई कारबा देवी में आढ़त का व्यापार "मिश्रीमल गुमानचन्द" के नाम से करते हैं। खिचन्द में आपका परिवार अच्छा प्रतिष्ठत माना जाता है। आपके पुत्र भेरूराज जी, गुमानचन्दजी, देवराजजी तथा समीरमलजी हैं। सेठ भोमराजजी विद्यमान हैं । आपके पुत्र मिश्रीलालजी हैं। इसी प्रकार इस परिवार में सेठ सोभागमलजी और उनके पुत्र कन्हैयालालजी का व्यापार धरनगाँव में तथा गम्भीरमलजी और उनके पुन मेघराजजी का व्यापार सारंगपुर (मालवा ) में होता है। प्राकड सेठ हरखचन्द रामचन्द प्राबड़, चांदवड़। यह परिवार पीसांगन ( अजमेर के पास ) का निवासी है। आप मन्दिर मार्गीय आम्नाय को मानने वाले सजन हैं। इस परिवार के पूर्वज सेठ हणुवंतमल जी के बड़े पुत्र हरखचन्दजी व्यापार के लिये संवत् १९३० में चाँदवढ़ के समीप पनाला नामक स्थान में आये, तथा किराने की दुकानदारी शुरू की। आपका जन्म संवत् १९१५ में हुआ। पीछे से अपने छोटे भ्राता मूलचन्दजी को भी बुलालिया, तथा दोनों बंधुओं ने हिम्मत पूर्वक सम्पत्ति उपार्जित कर समाज में अपने परिवार की प्रतिष्ठा स्थापित की। सेठ मोती. लालजी का संवत् १९४४ में स्वर्गवास हो गया है, तथा सेठ हरकचन्दजी विद्यमान हैं। आपके पुत्र रामचन्दजी तथा केशवलालजी हैं। आप दोनों का जन्म क्रमशः संवत् १९४६ तथा १९५३ में हुआ। आप दोनों सजन अपनी कपड़ा व साहुकारी दुकान का संचालन करते हैं। श्री केशवलालजी श्राबड़-आप बड़े शान्त, विचारक और आशावदी सजन हैं। चाँदवढ़ गुरुकुल के स्थापन करने में, उसके लिए नवीन बिल्डिंग प्राप्त करने में आपने जो जो कठिनाइयाँ झेली, उनकी कहानी लम्बी है। केवल इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि, आपने विद्यालय की जमावट में अनेकानेक रुकावटों व कठिनाइयों की परवाह न कर उसकी नींव को दृढ़ बनाने का सतत् प्रयत्न किया। इसके प्रति फल में परम रमणीय एवं मनोरम स्थान में आज विद्यालय अपनी उत्तरोत्तर उन्नति करने में सफल हो रहा है। तथा अब भी आप विद्यालय की उसी प्रकार सेवाएँ बजा रहे हैं। आप खानदेश तथा महाराष्ट्र के सुपरिचित व्यक्ति हैं। आपके बड़े भ्राता रामचन्द्रजी विद्यालय की प्रबंधक समिति के मेम्बर हैं। आपके पुत्र शांतिलालजी ब्रह्मचर्याश्रम से शिक्षण प्राप्तकर कपड़े का व्यापार सम्हालते हैं। इनसे छोटे लखीचंद तथा सरूपचन्द हैं। इसी प्रकार केशवलालजी के पुत्र संचियालाल तथा रतनलाल हैं । सेठ धनरूपमल छगनमल भाबड़, जालना इस खानदान का मूल निवास स्थान बीजाथल (मारवाड़) है। आप मन्दिर आम्नाय को माननेवाले सज्जन हैं। इस खानदान में सेठ धनरूपमलजी मारवाड़ से जालना ४० वर्ष पूर्व आये । तथा यहाँ आकर व्यापार किया। भापका स्वर्गवास हुए करीब १० वर्ष हुए। आपके पश्चात् आपके पुत्र सेठ छगनमलजी ने इस फर्म के काम को सम्हाला । आपके समय में फर्म की अधिक तरक्की हुई । संवत् १९६५ के करीब आपका स्वर्गवास हुआ। धार्मिक कार्यों की ओर आपकी अच्छी रुचि थी। आपके पश्चात् आपके पुत्र सेठ कपूरचन्दजी मे इस फर्म के काम को सम्हाला । वर्तमान समय में आप ही इस फर्म के
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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