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________________ राजनैतिक और सैनिक महत्व कुल मेवाड़ में ठेका बाँध दिया । इस काम में मेहता पक्षालाजी ने कोठारी केशरीसिंहजी को बड़ी मदद दी। कोठारीजी के पश्चात महकमा माल के अफसर कोठारी छगनलालजी एवम् मेहता पत्रालालजी रहे । इसके पश्चात संवत् १९३० से १९३२ तक इनके जीवन में कई प्रकार की घटनाएं घटी जिनका वर्णन हम उनकी फेमिली हिस्ट्री के साथ करेंगे । संवत् १९३२ की भादवा सुदी चौथ को फिर से उन्हें महकमा खास का काम सौंपा गया। आपके महकमा खास में आने के बाद रियासत में कई नये काम हुए । संवत् १९३५ में आपने स्टेट में सेटलमेंट की पद्धति को जारी किया। जो उस समय राजपूताने की सब रियासतों में पहली थी। आपके हाथों से दूसरा महत्व पूर्ण कार्य विद्या के विषय में हुआ। आपके द्वारा यहाँ के विद्या-विभाग को बहुत प्रोत्साहन मिला । आप ही ने मेवाड़ के जिलों के अन्दर जहाँ, पहले स्कूल और हास्पिटल नहीं थे, खुलवाये । इसी प्रकार और भी प्रायः सभी विभागों में आपने अपनी बुद्धिमानी से बहुत सुधार किया। भारत गवर्नमेंट ने आपको पहले पहल राय की पदवी प्रदान की। उसके पश्चात् ही आपको सी० आई० ई० का सम्माननीय पद मिला। आपके कार्यों की प्रायः समी पोलिटिकल एजण्टस, ए० जी० जी० तथा वाइसराय जैसे महानुभवों ने मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की, तथा भापको कई सार्टीफिकेट प्रदान किये। इनमें से हम एक यहाँ दे रहे हैं शेष इनके पारवारिक इतिहास में देंगे। "Rai Pannalal is an intelligent, energetic and hard working officer and has rendered great assistance to the Political Agent in the administration of the state during the minority. He is the only person capable of holding the high post, he now Occupies in the state." यह रुका संवत् १८७६ में राजपूताने के तत्कालीन पोलिटिकल एजण्ट द्वारा दिया गया था। आप लिखते हैं कि राय पन्नालालजी बड़े ही तीक्ष्ण बुद्धिवाले तथा उत्साही पुरुष हैं। महाराणाजी की नाबा. लिगी के समय में आपने मेवाड़ के राज्य कार्यों में मुझे बड़ी सहायता दी। आप बड़े परिश्रमी एवं इस उच्च ओहदे के योग्य महानुभाव हैं। मेहता फतेलालजी . भाप मेहता पन्नालालजी सी० आई .ईके पुत्र हैं। भाप बाल्यावस्था से ही बड़े विचक्षण बुद्धि और मेधावी हैं। आपके साहित्यिक और सामाजिक जीवन के विषय में आपके खान-दान के इतिहास के साथ प्रकाश डालेंगे । राजनैतिक जीवन के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि आपका जीवन उदयपुर के राजकीय वातावरण में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। यद्यपि आप अपने पिता की तरह प्राइम मिनिस्टरी ९५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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