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________________ प्रोसवाल आति का इतिहास रहे हैं, आपने एक विद्यालय को २०००० का दान दिया था। संवत् १९७० में १७ हजार की लागत से गांव में एक उपाश्रय बनवाया। इसी प्रकार नथमलजी धर्मपत्नी हीराबाई के नाम से राणकपुरजी के रास्ते पर एक हीरा बावड़ी बनवाई। इस कुटुम्ब ने बरकाणा विद्यालय को १००००) एक बार तथा १०००) दूसरी बार प्रदान किये। इस विद्यालय की मेनेजिंग कमेटी के प्रेसिडेण्ट सेठ मूलचन्दजी है। इसके अतिरिक्त पालीताना, भावनगर विद्यालय, बम्बई महावीर विद्यालय, आदि स्थानों पर आपकी ओर से सहायताएं दी गई हैं। इस कुटुम्ब ने अभी तक लगभग एक लाख रुपयों का दान किया है। घेमावत उदयभानुजी का परिवार, शिवगंज हम ऊपर कह आये हैं कि घेमाजी की संतानें घेमावत नाम से मशहूर हुई। इनके देवीचंदजी सुखजी, थानजी, तथा करमचन्दजी नामक ४ पुत्र हुए। घेमावत करमचन्दजी को बाली से सांडेराव के ठाकुर अपने यहाँ ले गये। इनका यहाँ जोरों से व्यापार चलता था। इनके पुत्र उदयभानजी भी सांडेराव में व्यापार करते रहे। उदयभानजी के रतनचंदजी, जवानमलजी, हजारीमलजी, मानमलजी, हिम्मत मलजी तथा फतेमलजी नामक ६ पुत्र हुए। घेनावत रतन चन्दजी का परिवार-रतनचन्दजी ने धार्मिक कार्यों में बहुत इज्जत पाई। आपने सांडेराव से ऋषभदेवजी तथा आबूजी के संघ निकाले भाप संवत् १९२३ में सांडेराव से शिवगंज आये। संवत् १९३२ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र चिमनमलजी आपके स्वर्गवासी होने के समय । माह के थे। घेमावत चिमनमलजी का खानदान शिवगंज में बहुत प्रतिष्ठित मान जाता है। भाप आरंभ में सांडेराव में कामदार थे। भाप समझदार पुरुष है। आपके पुत्र घेमावत धनराजजी तथा तखतराजजी है। धेमावत धनराजजी का जन्म संवत् १९५९ में हमा। संवत् १९८३ में आपने बी. ए. ऑनर्स तथा १९८५ में एल. एल.बो. की परीक्षा पास की। संवत १९८३ में आप सिरोही में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हुए, तथा संवत् १९८६ से आप चीफ मिनिस्टर के ऑफिस सुपरिटेन्डेन्ट पद पर कार्य करते हैं। आपके छोटे भाई तखतराजजी का जन्म संवत् १९६५ में हुआ। आप इंटर तक शिक्षा प्राप्त कर मुरादाबाद पोलीस ट्रेनिंग में गये, तथा इस समय जोधपुर में सब इन्स्पेक्टर पोलीस हैं धनराजजी के पुत्र सम्पतराजजी तथा खुशवंतराजजी हैं। घेमावत जवानमलजी का परिवार-आपके पुत्र हीराचन्दजी तथा तेजराजजी हुए। आपका स्वर्गवास क्रमशः संवत् १९५४ तथा ५७ में हुआ घेमावत हीराचंदजी के पुत्र सुन्दरमलजी तथा तेजरामजी के पुत्र बरदीचंदजी तथा कुशलराजजी हुए। घेमावत सुंदरमलजी का जन्म १९३५ में हुआ। आप बड़े शिक्षा प्रेमी तथा धार्मिक सजन हैं। आप शिवगंज की कन्या शाला को विशेष सहायता देते रहते हैं। आपके मेनेजमेंट तथा कोशिश से पाठशाला की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। घेमावत हजारीमलजी के पुत्र राजमलजी सांडेराव में कामदार थे। इनके पौत्र देवीचंदजी तथा साहबवंदजी सांडेराव में व्यापार करते हैं। तथा घेमावत मानमलजी के पौत्र चांदमलजी सिरोही में सर्विस करते हैं। घेमावत फतेचन्दजी का परिवार-घेमावत फतेचन्दजी गोड़वाड़ प्रान्त की पब्लिक तथा जागीरदारों में सम्माननीय व्यक्ति थे। संवत् १९५९ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र पुखराजजो
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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