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सेठ जुहारमल शोभाचंद विनायक्या, राजलदेसर इस परिवार के लोग बहुत वर्षों से राजलदेसर ही में निवास कर रहे हैं। इस परिवार में किशोरसिंहजी के पुत्र उमचन्दजी हुए। इनके दो पुत्र किस्तूरचन्दजी और जुहारमलजी हुए। आप दोनों ही भाई बड़े प्रतिभा वाले और व्यापार कुशल थे। आप लोगों ने गोविन्द गंज (रंगपुर) में जाकर अपनी फर्म मेसस किस्तूरचन्द जुहारमल के नाम से खोली। इसमें आप लोगों को अच्छी सफलता रही।
वर्तमान में इस फर्म के संचालक सेठ किस्तूरचन्दजी के पुत्र शोभाचन्दजी और सेठ जुहारमलजी के पुत्र मालचन्दजी, जयचन्दलालजी और धनराजजी हैं। आप सब सजन और मिलनसार व्यक्ति हैं। आप लोगों ने आर्मेनियन स्ट्रीट कलकत्ता में भी चलानी का काम करने के लिये अपनी एक फर्म खोली । इस समय भाप की कलकत्ता और गोविन्द गंज दोनों स्थानों पर फर्मे चल रही हैं। आपके यहाँ कपड़ा, चलानी तथा जूट का व्यापार होता है।
सेठ शोभाचन्दजी के मोहनलालजी, पन्नालालजी और दीपचन्दजी, सेठ मालचन्दजी के खीच. करणजो, सेठ जैचन्दलालजी के मनालालजी और धनराजजी के हनुमानमलजी नामक पुत्र हैं।
___लाला खेरातीराम पन्नालाल विनायक्या, लुधियाना
यह खानदान जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी सम्प्रदाय को माननेवाला है । यह खानदान करीब सौ सवा सौ वर्षों से यहीं निवास कर रहा है। इस खानदान में लाला जुहारमलजी और रनचन्दजी मामक दो भाई हो गये हैं। लाला जुहारमलजी के गुलाबमलजी नामक एक पुत्र हुए जो यहाँ के बड़े मशहर चौधरी हो गये हैं। आपका संवत् १९३० में स्वर्गवास हो गया। आपके लाला खैरातीमलजी एवं फकीरचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें काला फकीरमलजी निसंतानावस्था में संवत् १९६७ में स्वर्गवासी हुए।
___लाला खेरातीमलजी का संवत् १९१९ में जन्म हुआ। आपने अपने भतीजे (लाला पूरनचंदजी के प्रपौत्र ) लाला पन्नालालजी को गोद लिया है। आप इस समय अपने पिता लाला खैरातीमलजी के साथ व्यापार करते हैं। आपके तिलकरामजी नामक एक पुत्र है। इस परिवार का यहाँ पर जनरल मचेंटाइज़ का व्यापार होता है । तथा यह कुटुम्ब यहाँ प्रतिष्ठित माना जाता है।
लाला रोशनलाल पन्नालाल जैन विनायक्या पटियाला
यह खानदान कई पुरत पहिले समाना से आकर पटियाले में भावाद हुआ। यह परिवार स्थानकवासी आम्नाय का मानने वाला है। इस परिवार में लाला चैनामलजी तथा उनके पुत्र पूरनचंदजी हुए। लाला पूरनचन्दजी के कूड़ामलजी तथा नथुरामजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें से लाल कूड़ामलजी संवत् १९०१ में स्वर्गवासी हुए। आपके रामसरनदासजी तथा कन्हैयालालजी नामक दो पुत्र हुए ।