SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1304
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओसवाल जाति का इतिहास सेठ लखमीचंदजी नाडोल में ही राज का काम करते हैं। आप इस ठिकाने के कामदार हैं। सेठ गुलाबचंदजी और सिरदारमलजी का स्वर्गवास हो गया है। आप लोग भी जब तक रहे तब तक बड़ी बुद्धिमानी से फर्म का कारवार चलाते थे । सेठ रिखबदासजी बड़े प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। रानी स्टेशन पर आपके यह रिखबदास सिरदरमलजी के नाम से अनाज, किराना, कमीशन आदि का व्यवसाय होता है । इसके पश्चात आपने तथा आपके परिवार वालों ने मिलकर कलकत्ता में भी एक शाखा खोली जिसपर भी उपरोक्त नाम पड़ता है। इस फर्म पर विदेश से कपड़े का डायरेक्टर इम्पोर्ट बिजिनेस होता है। इसके बाद आपने एक स्वदेशी जूट मिल नामक एक जूट खोला तथा एक छाते की फेक्टरी खोली । वर्त्तमान में आपके कलकत्ता आफिस से मद्रास, कोलम्बो, कोचीन, सीलोन, बम्बई वगैरह स्थानों पर लार्जस्केल में किराने का एक्सपोर्ट होता है। इसके अतिरिक्त गव्हर्नमेंट फारेस्ट डिपार्टमेंट तथा रक्षित राज्यों से आप हाथीदांत तथा गेडे के सींगों को कन्ट्राक्ट से खरीदते हैं। तथा बाहर पंजाब, मुलतान, राजपूताना वगैरह स्थानों पर अपना माल भेजते हैं। इस फर्म की एक शाखा नाडोल में सिरदारमल फौजमल के नाम से है । इस फर्म के कार्य्यं को संचलित करने में सेठ रिखबदासजी, पृथ्वीराजजी, राजमलजी, कुन्दनमल जी, दानमलजी, फतेराजजी, अमरचंदजी, भागचंदजी, सिरेमलजी, अजयराजजी, केशरीमलजी और पुखराज बहुत हाथ है। आप सब लोग व्यापार कुशल सज्जन हैं। वर्तमान में कलकत्ता दुकान का कार्य्यं प्रधान तौर से बाबू केशरीमलजी और पुखराजजी देखते हैं । आप दोनों भाइयों को मशीनरी विभाग का अच्छा ज्ञान है । इस परिवार के व्यक्तियों का सार्वजनिक कामों की ओर भी बहुत ध्यान है । सेठ रखवदासजी ने बरकाणा पार्श्वनाथ बोडिंग के लिये लगभग २ लाख रुपये एकत्रित करवाये । पटावरी सेठ शोभाचन्दजी पटावरी का परिवार, भादरा इस परिवार के लोग भादरा के निवासी हैं। इस परिवार में सेठ चैनरूपजी बड़े बुद्धिमान और प्रसिद्ध व्यक्ति हुए । आप तत्कालीन समय में ठाकुर साहब भादरा के कामदार रहे। इसके बाद ऐसा कहा जाता है कि जब भादरा खालसे हो गया तब आप बीकानेर दरवार की ओर से वहाँ का काम काज देखने लगे । आपके पुत्र जीतमलजी तथा पौत्र हीरालालजी भी वहीं राज में काम करते रहे। सेठ हीरालालजी के शोभाचन्दजी, चतुरभुजजी, लुनकरनजी प्रतापमलजी और छोटेलालजी नामक पांच पुत्र हैं । सेठ शोभाचन्दजी पटावरी अपने जीवन में बड़े क्रान्तिकारी व्यापारी रहे। प्रारम्भ में आपने कई स्थानों पर गुमास्तागिरी की, फिर पाट की दलाली का काम किया। इसके बाद जब कि कलकत्ते में पाट का बड़ा कायम हुआ उस समय आपभी इसमें शामिल हो गये । आप में उत्साह है, साहस है और व्यापार करने की पूरी २ क्षमता भी है। अतएव आप शीघ्र ही इस व्यापार में बड़े नामांकित व्यक्ति हो गये । आपने अपने हाथों से वायदे के सौदों में लाखों रुपये कमाये और खोये । आपने अपने हाथों से पाद का ६२४
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy