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बढेर तथा मड़गातया
हुआ। इस सम्बन्ध में आपको आस्टे के दिगम्बर जैन समाज ने चाँदीकी हिन्बी, सिरोपाव तथा मान पत्र देकर सम्मानित किया। आपका आस्टे की जनता में तथा भोपाल राज्य में अच्छा सम्मान है, आपको बाला बाला नबाब साहिब से मिलने की इजाजत प्राप्त है। तथा आप आस्टे के ऑनरेरी मजिस्ट्रेट हैं। वर्तमान में आपके यहाँ "प्रतापमल फूलचन्द" बनवट के नाम से साहुकारी तथा भाखामी लेन-देन होता है।
सेठ कन्हैयालाल चुन्नीलाल बढ़ेर, देहली यह खानदान करीब सात आठ पुश्त से देहली में ही रहता है। आप ओसवाल जाति के बढेर गौत्रीय सज्जन हैं। आर स्थानकवासी जैन सम्प्रदाय के मानने वाले हैं। इस खानदान में लाला आसानन्दजी के पुत्र लाला छजमलजी और जमरूजी के कीरालालजी नामक पुत्र हुए। आपका जन्म संवत् १८४२ के करीब हुआ। और संवत् १९५० के ज्येष्ठ मास में आपका स्वर्ग वास हुआ। आप बड़े धार्मिक और परोपकारी पुरुष थे सामायिक और प्रतिक्रमण का आपको बड़ा दृढ़ निश्चय था। भापके पुत्र लाला कन्हैयालालजी इस खानदान में बड़े नामी और प्रतापी पुरुष हुए। मापने इस खानदान की सम्पत्ति और इजत को बहुत बड़ाया। आप खास कर नीलाम का व्यापार करते थे। आपका स्वर्गवास १९४७ में हुआ। आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम क्रम से लाला मांगीलालजी और लाला चुन्नीलालजी हैं। लाला मांगीलालजी का जन्म संवत् १९३७ का है। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम श्री चम्पालालजी, मनालालजी और ऋषभचन्दजी हैं। इनमें से चम्पालालजी का केवल वर्ष की कम उम्र में ही देहान्त होगया । लाला चुनीलालजी का जन्म संवत् १९४६ का है। आप बड़े सज्जन और योग्य पुरुष हैं। आपके इस समय दो पुत्र हैं जिनके नाम जवाहरलालजी और मिलापचंद जी हैं। देहली के ओसवाल समाज में यह खानदान बड़ा धार्मिक और प्रतिष्ठित माना जाता है।
मड़गतिया
भड़गतिया खानदान, अजमेर इस परिवार का मूल निवास स्थान मेड़ता है। इस खानदान के पूर्वज भदगतिया सूरजमलजी तथा उनके पुत्र वाघमलजी मेड़ते के समृद्धि शाली साहुकार माने जाते थे। आपके यहाँ "सूरजमल बाधमल" के नाम से व्यापार होता था । सेठ बाघमलजी के पुत्र फतेमलजी हुए।
सेठ फतेमलजी भड़गतिया-आप संवत् १८६५-७० के मध्य में अजमेर आये। आप बढ़े बहादुर तबियत तथा राजसी ठाठ-बाट वाले पुरुष थे। मापने अजमेर में बैंकिंग व्यापार चालू किया। आपकी प्रथम पत्नो से कल्याणमलजी तथा द्वितीय पनी से सुगनमलजी भइगतियाका जन्म हमा।