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________________ बरड़िया सम्पन्न व्यक्ति थे। आप चारों भाइयों का परिवार अलग २ होगया। सेठ मगनमलजी के पुत्र सेठ चांदमलजी और सेठ प्यारचन्दजी इस समय अलीगढ़ में अपना २ व्यापार करते हैं। सेठ जालमचन्दजी हिसाब के अच्छे जानकार थे। आपके चम्पालालजी और कहैयालालजी नामक दो पुत्र हैं। लेठ चम्पालोलजी करीब ३५ वर्षों से उदयपुर स्टेट में रेसिडेन्सी सर्जन की आफिस में हेड क्लर्क हैं। आपको यहां आने वाले कई अंग्रेज सर्जनों से अच्छे २ सर्टिफिकेट प्राप्त हुए हैं। आपके पुत्र माणकलालजी इस परिवार में सर्व प्रथम ग्रेज्युएट हुए हैं। आप मिलनसार और योग्य सज्जन हैं। आप इन्दौर स्टेट में मनासा, खरगोन, सनावद, जीरापुर, सेंधवा, हतोद आदि कई स्थानों और मजिस्ट्रेट रह चुके हैं। इस समय आप गरोठ में फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट हैं। आप फुटबाल, क्रिकेट वगैरह खेलों के अच्छे खिलाड़ी हैं। आपके हीरालालजी और जवाहरलालजी नामक दो पुत्र हैं। सेठ कन्हैयालाल जी उदयपुर ही में व्यापार करते हैं। आपके रतनलालजी, परमेश्वरीलालजी और मनोहरलालजी नामक नामक तीन पुत्र हैं। रतनलालजी शिक्षित और मिलनसार व्यक्ति हैं। भापका अध्ययन बी. ए. तक हुआ है। आप आजकल उदयपुर की मशहूर संस्था विद्याभवन में मास्टर हैं। - सेठ साहबलालजी के पुत्र कालूलालजी तथा फूलचन्दजी के पुत्र मोतीलालजी इस समय उदयपुर में विद्यमान हैं। तथा वहीं अपना व्यापार करते हैं। सेठ जुहारमल मूलचंद बरडिया, सरदारशहर इस परिवार के लोग बहुत समय पहले सिरसा होते हुए अबोहर आये । सिरसा में सेठ गंगारामजी हुए। आप सिरसा ही में रहकर व्यापार करते रहे । आपके पुत्र छोगमलजी और गणेशमलजी अबोहर आये एवम् वहाँ कपड़े का ब्यागर प्रारम्भ किया। तथा इसमें अच्छी उन्नति की सेठ छोगमलजी के जुहारमलजी एवम् सेठ जेठमलजी नामक दो पुत्र हुए। प्रथम जुहारमलजी वहाँ से सरदारशहर आकर बस गये और जेठमलजी वहीं रहकर अपना व्यवसाय करने लगे। आपके सुगनचंदजी, जयचन्दलालजी और जगन्नाथजी नामक पुत्र हैं। सेठ जुहारमलजी जब कि अबोहर रहते थे, उसी समय कलकत्ता व्यापार के लिये चले गये थे। कलकत्ता आकर आपने पहले भैरोंदानजी चुन्नीलालजी सरदारशहर वालों के यहां काम करना आरम्भ किया। पश्चात् आप अपनी बुद्धिमानी से इस फर्म में साझीदार हो गये। कुछ वर्षों बाद आपने इस फर्म से भी अपना साझा अलग कर लिया। एवम् रघुनाथदास शिवलाल के यहां ५ हजार रुपया सालाना पर मुनीमी का काम करना प्रारम्भ किया। इस समय आप वयोवृद्ध होने से सरदारशहर में शांतिलाभ कर रहे हैं। आपके पुत्र मूलचन्दजी, सोहनलालजी एवम् सूरजमलजी-अपना स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। बाबू मूलचन्दजी मिलनसार व्यक्ति हैं। आजकल १५ वर्षों से आप जूट का वायदे का सौदा करते हैं। इस ओर आपकी अच्छी गति है। आपकी गिद्दी १६ वोना फिल्ड लेन में हैं। सरजमलजी अपना स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। सोहनलालजी अपने चाचा हीरालालजी के साझे में "छोटूलाल सोहनलाल" के नाम से पारख कोठी में धुले कपड़े तथा गगेश भगत के कटले में धोती का व्यापार करते हैं। १९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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