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________________ प्रोसबाख आति का इतिहास धर्म का ज्ञान कराया। बड़ के नीचे उपदेश देने से "बरदिया" नाम सम्बोधित हुआ। यही नाम आगे चल कर बरडिया गौत्र में परिवर्तित हुआ। श्री राजमलजी बरड़िया का खानदान, जेसलमेर इस परिवार का मूल निवास स्थान जैसलमेर ही है। हम ऊपर बरड़िया बेरसी का उल्लेख कर चुके हैं। इनके कई पीढ़ियों बाद समराशाहजी हए। ये जैसलमेर के दीवान थे। इनके पुत्र मूलराजजी ने भी रियासत के दीवान पद पर कार्य किया। मूलराजजी की 11वीं पीढ़ी में भोजराजजी हुए, इनसे यह परिवार "भोजा मेहता" कहलाया। इनकी छठी पीढ़ी में मेहता सरूपसिंहजी हुए। इनके सरदारमलजी, जोरावरसिंहजी तथा उत्तमसिंहजी नामक ३ पुत्र हुए। धनराजजी बरड़िया-बरड़िया सरदारमलजी के नाम पर बभूतसिंहजी दत्तक आये, तथा इनके पुत्र धनराजजी थे। धनराजजी जेसलमेर स्टेट के प्रतिभा सम्पन्न पुरुष हो गये हैं। आपके नाम पर आपके चाचा विशनसिंहजी के पुत्र केवलचन्दजी दत्तक आये। इनके सोभागमलजी तथा तेजमलजी नामक पुत्र हुए। बरड़िया तेजमलजी भी जेसलमेर के प्रतिष्ठित सज्जन हैं। आप इस समय स्टेट ट्रेझरर हैं। __बरड़िया जोरावरसिंहजी का परिवार-आपके बभूतसिंहजी, सगतसिंहजी, विशनसिंहजी, जबरचन्दजी, तथा नथमलजी नामक ५ पुत्र हुए। इनमें बभूतसिंहजी सरदारमलजी के नाम पर दत्तक गये। सगतसिंहजी के हिम्मतरामजी, ज्ञानचन्दजी, हमीरमलजी, इन्द्रराजजी, बलराजजी नामक ५ पुत्र हुए। इनमें हिम्मतरामजी का स्वर्गवास हो गया। शेष बन्धु विद्यमान हैं । बरडिया हमीरमलजी उत्तमसिंहजी के पुत्र चन्दनमलजी के नाम पर दत्तक गये हैं। इसी तरह जवरचन्दजी के प्रपौत्र कुन्दनमल जी विद्यमान हैं। बरडिया जोरावरसिंहजी के सबसे छोटे पुत्र नथमलजी थे। इनके पूनमचन्दजी तथा रतनलालजी नामक पुत्र हुए। इस समय पूनमचन्दजी के पुत्र राजमलजी तथा रतनलालजी के पुत्र रामसिंहजी विद्यमान हैं। राजमलजी बरड़िया-आपका जन्म संवत् १९३७ में हुआ। आप जैसलमेर के ओसवाल समान में समझदार तथा वजनदार पुरुष हैं। यहाँ के करोड़ों रुपयों की लागत के जैन मंन्दिरों की व्यवस्था का भार श्री संघ ने आपके जिम्मे का रक्खा है। आप श्वेताम्बर संघ कार्यालय के प्रेसिडेंट हैं। इस समय आप जेसलमेर स्टेट में कस्टम सुपरिन्टेन्डेन्ट हैं । इसके अलावा आप अपना घरु व्यापार भी करते हैं। आपके पुत्र फतेसिंहजी हैं। यह परिवार ५६ पीढ़ियों से जेसलमेर स्टेट की सेवा करता आ रहा है। रियासत को ओर से दी गई जागीरी का पट्टा इस परिवार वालों के हाथ से लिखा जाता है। रियासत के कस्टम, फोज बख्शी, खजाना, भंडार आदि मुख्य सीगे हमेशा से इस परिवार के जिम्मे रहते आये हैं। तथा जेसलमेर महारावल जो से इस परिवार को समय २ पर रुक्के तथा पर वाने मिलते रहे हैं। बरड़िया गनेशजी का परिवार उदयपुर करीब १०० वर्ष पूर्व बरड़िया गनेशजी करेड़ा पार्श्वनाथ से उदयपुर आये। उनके मगनमल जी, जालमचंदजी. साहबलालजी और फूल बन्दजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें मगनमलजी बड़े प्रतिभा
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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