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________________ पाटनी ... लाला मोहनलालर्जी जैन एडवोकेट, अमृतसर आपका खानदान झुधियाना (पंजाब) का निवासी है। यहाँ इस खामदान के पूर्वज लाला गोपीचन्दजी, तिजारत करते थे ।मापके पंजाबरायजी तथा खुशीरामजी नामक २ पुत्र हुए । आप भी लुधियाना में तिजारत करते रहे । लामा अंजावरायजी के पुत्र लाला मोहनलालजी हैं। . लाला मोहनलालजी- आपका जन्म संवत् १९५३ में हुआ। आपको होनहार समझकर २।३. साल को बाल्यावस्था में ही आपके मामा अमृतसर के मशहूर जौहरी लाला पन्नालालजी दूगड़ अमृतसर ले आये। तब से आप यहीं निवास करते हैं। आपने सन १९२३ में एल. एल. बी. की डिगरी हासिल की, तथा तब से भाप अमृतसर में प्रेक्टिस कर रहे हैं। आप श्वेताम्बर जैन समाज के मंदिर मार्गीय आम्नाय के अनुयायी हैं। भाप पंजाब प्रान्त की ओर से "आनन्दजी कल्याण जी" की पेढ़ी के मेम्बर हैं। पंजाब के मन्दिर मार्गीय समाज में आप गण्य मान्य व्यक्ति हैं। आपने सन् १९२० में श्री आत्मानंद जैन सभा पंजाब के अम्बालाअधिवेशके समय तथा १९३३ में होशियारपुर अधिवेशन के समय सभापति का आसन सुशोभित किया था । अमृतसर जैन मंदिर की व्यवस्था आपके जिम्मे है । तथा आप जैन वाचनालय के प्रेसिडेंट हैं। लाला मोहनलालजी एडवोकेट बड़े समझदार तथा विचारवान सजन हैं। आपके छोटे भाई. सोहनलालजी तथा मुनीलालजी लुधियाने में अपना घरू व्यापार करते हैं। - लाला चीचूमलजी का खानदान, लुधियाना इस खानदान के लोग मंदिर आम्नाय को मानने वाले हैं । इस खानदान का मूलनिवास स्थान पीचा पाटन ( गुजरात ) का श्र। वहाँ से उठकर करीब १०० वर्ष पहले यह खानदान लुधियाने में आकर बसा। तभी से यह खानदान यहों निवास करता है। और इस खानदान वाले पाटन से आने के कारण पाटनी के नाम से आज भी मशहूर हैं। - इस खानदान में सबसे पहले लाला चीचूमलजी हुए । लाला चीचूमलजी के लाला फतेचंदजी एवं गोपीमलजी नामक दो पुत्र हुए । लाला फतेचन्दजी के लाला लाजपतरायजी कुन्दनरायजी एवं लाला हुकमचन्दजी नामक तीन पुत्र दुए। इनमें से लाला लाजपतराय जी और कुन्दनरायजी का स्वर्गवास हो गया है। लाला लाजपतरायजी के मंगतरायजी और मंगतरायजी के हितकरणदासजी नामक पुत्र हैं। आप लोग इस समय यहाँ पर अलग स्वतंत्र व्यवसाय करते हैं। ____ लाला कुन्दनमलजी के कस्तूरीलालजी और करतूरीलालजी के लालचन्दजी नामक पुत्र हैं जो अपने काका लाला हुकुमचन्दजी के साथ व्यापार करते हैं। लाला हुकुमचन्दजी का जन्म संवत् १९९५ में हुआ। आपके अमरनाथजी, दीवानचन्दजी, ज्ञानचन्दजी एवं केशरदासजी नामक चार पुत्र हैं। आपकी फर्म पर दरी कम्मल वगैरह का थोक और खुदरा व्यापार होता है। लाला उत्तमचंद बाबूराम पाटनी, जुगरावाँ • यह खानदान में कई पीढ़ियों से जुगरावाँ में पसारी का ब्यापार करता आ रहा है। लाला उत्तमचन्दजी ने इस दुकान के धन्धे और बाबरू को ज्यादा बढ़ाया। आप जैन प्रचारक सभा जुगरावाँ
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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