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________________ लिगे लाला जयदयाल शाह गुरांताशाह लिगे, सियालकोट यह खानदान स्थानकवासी आम्नाय का है। तथा कई पीढ़ियों में श्यालकोट में निवास करता है। इस खानदान के बुजुर्ग लाला गण्डामलजी के पुत्र दीवानचंदजी और पौत्र अमीचन्दजी हुए। लाला अमीरचंदशाहजी के गोविंदरामशाहजी, गंगारामशाहजी तथा मुकन्दाशाहजी नामक ३ पुत्र हुए । इनमें यह परिवार लाला गंगाराम शाहजी का है। लाला गंगाराम शाहजी-आपका जन्म संवत् १८९० में हुआ। आपने सियाल कोट में एक कागज का कारखाना तथा सूसी का कारखाना खोला था। आपका अपने समाज में बड़ा सम्मान था। संवत् १९५४ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके जयदयाल शाहजी, गुरांताशाहजी, चूनीशाहजी देवीदयालशाहजी तथा हरदयालशाहजी नामक ५ पुत्र हुए। आप सब बंधुजन सम्मिलित रूप में व्यापार करते थे। तथा सियालकोट के प्रसिद्ध बैंकर माने जाते थे। इन भाइयों में लाला देवीदयाल शाहजी मौजूद हैं । लाला जयदयालशाहजी के पुत्र खजांचीशाहजी तथा गुरांताशाहजी के पुत्र शादीलालजी मौजूद हैं। _ लाला खजांचीशाहजी-अपका जन्म संवत् १९४५ में हुआ । आप सियाल कोट के जैन समाज में प्रतिष्ठित सज्जन हैं । तथा डिस्ट्रिक्ट दरबारी हैं। यहाँ के सैंट्रल बैंक के डायरेक्टर तथा कोर्ट के असेंसर रहे हैं । आप पंजाब जैन संघ के खजांची भी रहे थे। कहने का मतलब यह है कि आप यहाँ के मशहूर आदमी हैं। आपके पुत्र नगीनालालजी सराफी व्यापार करते हैं तथा शेष मदनलालजी, सिकन्दरपालजी, कृष्ण गोपालजी, तथा सुदर्शनजी हैं। लाला शादीलालजी अपने चचा खजांची शाहजी के साथ “जयदयाल शाह गुरांता शाह" के नाम से बैंकिंग तथा मनीलेंडिग का व्यापार करते हैं। आपके जुगेन्द्रपाल तथा मनोहर पाल नामक २ पुत्र हैं। लाला काकूशाह जीवाशाह लिगे का खानदान. रावलपिंडी इस खानदान के बुजुर्ग लाला हरकरणशाहजी के रामसिंहजी, लालूशाहजी, मन्नाशाहजी, भोलाशाहजी तथा ठाकरशाहजी नामक ५ पुत्र हुए । उनमें लाला मनाशाहजी के काकूशाहजी, डोडेशाहजी तथा प्रेमाशाहजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें प्रेमाशाहजी मोजूद हैं। लाजा काकूशाहजी का खानदान-आपका जन्म संवत् १९१२ में हुभा था। आप बड़े सादे और पुराने खयालों के सज्जन थे। आपने करीब ६० साल पहिले कपड़े का रोजगार शुरू किया। संवत् १९४४ में आप तीनों भाइयों का रोजगार अलग २ हुआ। संवत् १९७६ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके लाला अमीचंदजी, लाला रादू शाहजी, लाला उत्तमचन्दजी तथा लाला फकीरचन्दजी नामक पुत्र हुए। लाला अमीचंदजी की याद दाश्त बहुत ऊँची है। आपका जन्म संवत् १९३२ में हुभा। इस दुकान के
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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