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पीत लिया
स्थान पर आये एवम् साधारण दुकानदारी का काम प्ररम्भ किया। सेठ बीराजी के पश्चात् सेठ मागकचंद जी और सेठ विरदीचंदजी ने क्रमशः इस फर्म के कार्य का संचालन किया। आपका ताल की जनता में अच्छा सम्मान था । सेठ बिरदीचंदजी के भ्रमरचंदजी, बच्छराजजी और सौभागमलजी नामक तीन पुत्र हुए। वर्तमान में भाप तीनों ही आताओं के वंशज क्रमशः रतलाम, जावरा और ताल में अडंग २ अपना व्यवसाय कर रहे हैं।
सेठ श्रमर चन्दजी - आपने समत् १९११ में रतलाम में उपरोक्त नाम से फर्म खोली । साथ ही आपने अपनी बुद्धिमानी, मिलनसारी और कठिन परिश्रम से फर्म के व्यवसाय में अच्छी तरक्की प्राप्त की । आप का धार्मिक और जातीय प्रेम सराहनीय था । आपके द्वारा इन दोनों लाईनों में बहुत काम हुआ । स्थानकवासी जैन कांफ्रेन्स में आपका अपने समय में प्रधान हाथ रहता था। राज्य में भी आपका बहुत सम्मान था । रतलाम स्टेट से आपको 'सेट' की उपाधिप्राप्त हुई थी। आप बड़े प्रतिभा सम्पन्न, कार्य्यं कुशल और बुद्धिमान व्यक्ति थे । आपका स्वर्गवास हो गया। आपके वर्द्धभानजी नामक एक पुत्र हैं।
सेठ बर्द्धमानजी आप बड़े मिलनसार एवम जाति सेवक सज्जन हैं। आपने भी जाति की सेवा में बहुत मदद पहुंचाई। आप अखिल भारतवर्षीय स्थानकवासी जैन कांफ्रेन्स के जनरल सेक्रेटरी रहे । रतलाम के जैन ट्रेनिंग कालेज के भी आप सेक्रेटरी थे । आपका स्थानकवासी समाज में अच्छा प्रभाव एवम सम्मान है । आपका व्यापार इस समय रतलाम एवम इन्दौर में हो रहा है।
सेठ भगवानदास चन्दनमल पीतलिया,
अहमदनगर
इस खानदान वालों का खास निवासस्थान रीयां ( मारवाड़) में हैं। आप श्वेताम्बर जैन स्थानकवासी आम्नाय को माननेवाले हैं। रींया ( मावाड़) से करीब १५० बरस पहले सेठ भगवानदासजी के पिता पैदल रा ते से चलकर अहमदनगर आये और यहाँ पर आकर अपनी फर्म स्थापित की | आपके पुत्र भगवानदासजी हुए। आपका स्वर्गवास केवल २५ वर्ष की उम्र में ही हो गया। आपके पश्चात आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रम्भाबाई ने इस फर्म के काम को संचालित किया । इन्होंने साधु साध्वियों के ठहरने के लिये एक स्थानक बनवाया । भगवानदासजी के कोई सन्तान न होने से आपके यहाँ चन्दनमलजी को दत्तक लिया । चन्दनमलजी का जन्म सं० १९२९ में हुआ। आपके हाथों से इस फर्म की बहुत तरक्की हुई । आपका स्वर्गवास संवत् १९८८ में हो गया । आप बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । आपके स्वर्गवास के समय १५००) संस्थाओं को दान दिये गये । आपके पुत्र मोतीलालजी और झूमरलालजी हैं।
मोतीलालजी का जन्म संवत् १९६२ में हुआ । तथा झूमरलालजी हुआ । मोतीलालजी सज्जन और योग्य व्यक्ति हैं। झूमरलालजी इस समय खानदान की दान धर्म और सार्वजनिक कार्यों की ओर भी बड़ी रुचि रही है।
का जन्म संवत् १९७१ में मैट्रिक में पढ़ रहे हैं। इस
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