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________________ भोसवाले जाति का इतिहास खानदान पहले धूपिया परिवार के नाम से पहचाना जाता था। आगे चलकर इस परिवार में सेठ पक्ष लालजी तथा बग्नालालजी कीमती हुए। इन भाइयों में सेठ पन्नालालजी का जन्म सम्बत् १९०१ में हुआ । रामपुरे से यह खानदान इंदौर तथा मंदसोरं गया । तथा यहाँ से सेठ पन्नालालजी सम्वत् १९४८ में हैदराबाद आये | आप बड़े धर्मप्रेमी तथा साधुभक्त पुरुष थे । आपका स्वर्गवास सम्वत् १९७३ में हुआ । आपके जमनालालजी तथा रामलालजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ जमनालालजी रामलालजी कीमती-सेठ जमनालालजी का जन्म आप दोनों भाइयों ने अपने पिताजी की मौजूदगी में ही हैदराबाद में जवाहरात कर दिया था, तथा इस व्यापार में आप बंधुओं ने अच्छी सम्पत्ति उपर्जित की। जमने पर आपने इंदोर में भी अपनी एक शाखा खोली । सेठ जमनालालजी कीमती के एक पुत्र सुखलालजी हुए थे, आप बड़े होनहार प्रतीत होते थे, लेकिन ३-४ साल की अल्पायु में इनका स्वर्गवास हो गया । इनके नाम पर मदनलालजी दत्तक लिये गये । रामलालजी कीमती ने रोशनलालजी कीमती को दत्तक लिया था, लेकिन इनका भी शरीरान्त हो गया । सेठ जमनालालजी कीमती ने अपना उत्तराधिकारी अपने छोटे भाई रामलालजी को बनाया है, तथा रामलालजी ने सम्पतलालजी को अपना दत्तक प्रगट किया है। सेठ जमनालालजी तथा रामलालजी ने सुखलालजी के स्मरणार्थ पचास हज़ार रुपया, तथा रामलालजी की पत्नी के स्वर्गवासी हो जाने पर १ लाख रुपया धार्मिक कामों के लिये निकाले जाने की घोषणा की है। सम्वत् १९३५ में हुआ । आदि का व्यापार आरम्भ हैदराबाद में कारोबार इस परिवार ने सेठ पन्नालालजी तथा सुखलालजी के स्मर्णार्थ रामपुरा में " जमनालाल रामलाल कीमती लायब्रेरी” का उदघाटन किया है। आपने हैदराबाद में एक धर्मशाला बनवाई। हैदराबाद की मारवाड़ी लायब्रेरी के लिये एक " कीमती भवन" बनवाया, इसी प्रकार यहाँ स्थानक के लिये एक मकान दिया । आप एक जैन ग्रन्थमाला प्रकाशित कर मुफ़्त वितरित करते हैं । इन्दोर में आपकी ओर से एक जैन कन्या पाठशाला चल रही है, तथा यहाँ भी शुभ कामों के लिये एक बिल्डिंग दी है। आपकी ओर से जैनेन्द्र गुरुकुल पंचकूला में एक जैन बोर्डिंग हाउस बनवाया गया है, इसी तरह मंदसौर में इन बंधुओं ने एक प्रसूति गृह बनवाया । इसी तरह के धार्मिक तथा लोकोपकारी कार्यों में आप लोग भाग लेते रहते हैं । इस समय इन कीमती बंधुओं के यहाँ सुलतान बाजार रेसिडेंसी हैदराबाद में जमनालाल रामलाल कीमती के नाम से बेकिंग जवाहरात का व्यापार होता है । तथा यहाँ की प्रतिष्ठित फर्मों में यह फर्म मानी जाती है । हैदराबाद सिकरांबाद, इन्दौर आदि में आपके कई मकानात हैं। आपके यहां इन्दोर / खजूरीबाजार में भी बैंकिंग व्यापार होता है। पीत लिया सेठ बंदीचन्द बर्द्धमान पीतलिया, रतलाम इस परिवार के बुजुर्गों का मूल निवास स्थान कुम्भलगढ़ ( मेवाड़ ) है । वहाँ इस परिवार ने राज्य की अच्छी २ सेवाएँ की थीं। वहीं से इस परिवार के सज्जन सेठ बीराजी ताल ( जावरा-स्टेट) नामक ५८८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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