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________________ चंडालिया सेठ कोड़ामलजी के मूलचन्दजी नामक पुत्र हुए। मगर उनका स्वर्गवास होगया। वर्तमान में सेठ मुलचन्दजी के पुत्र मिलापचन्दजी, धनराजजी और मंगलचन्दजी हैं। सेठ छोगमलजी के पुत्र सेदमल जी, नेमचन्दजी, हलासमलजी और जयचन्दलालजी हैं। सेठ पोकरमलजीवीन पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः बा. गणपतरायजी, जवरीमलजी और रामलालजी हैं। भाप तीनों ही भाई सज्जन एवं मिलनसार व्यक्ति हैं। और आजकल आप ही लोग अपनी फर्म का संचालन करते हैं। आपकी फर्म कलकत्ता के मनोहरदास कटला में कपड़े का ब्यापार करती है। सेठ शोभाचन्दजी के पुत्र सेठ कालूरामजी हैं। आपका यहाँ की पंच पंचायती में बहुत हाथ है। आप समझदार एवं बुद्धिमान व्यक्ति हैं। भाप यहाँ के म्युनिसिपल मेम्बर हैं। भापके चार पुत्र हैं जिनका नाम क्रम से सुमेरमलजी, मोतीलालजी, पूनमचंद जी और दोपचन्दजी हैं। सेठ शिवजीराम खूबचंद चंडालिया, सरदारशहर - यों तो इस परिवार वालों का मूल निवास स्थान किशनगढ़ नामक स्थान है मगर कई वर्ष पूर्व वहाँ से चल कर सवाई होते हुए यहाँ भाये अतएव यहाँ सवाई वालों के नाम से प्रसिद्ध हैं। यहाँ आये आपको करीब ९५ वर्ष हुए । यहाँ आने वाले सज्जन सेठ गंगारामजी चण्डालिया थे । आपके चार पुत्र हुए सेठ दुर्जनदासजी, सेठ गुलावचन्दजी, सेठ आसकरनजी और सेठ कालूरामजी। आप चारों ही भाई अपना अलग २ व्यापार करने लगे । वत्तंमान इतिहास सेठ कालरामजी के वंश का है। सेठ कालूरामजी ने कलकत्ता जाकर नौकरी की। आपके संवत् १९१२ में शिवजीरामजी तथा संवत् १९२२ में गजराजजी नामक दो पुत्र हुए। दोनों ही भाइयों ने मिलकर संवत् १९४२ में कलकते में अपनी फर्म स्थापित की। तथा कपड़े का व्यापार प्रारम्भ किया। इस व्यापार में आप लोगों के परिश्रम से अच्छा लाभ रहा। सेठ शिवजीरामजी बड़े प्रतिभा सम्पन्न और व्यापार चतुर थे। आपकी सलाह बड़ी वजनदार मानी जाती थी। आप साधु प्रकृति के महानुभाव थे। आपका स्वर्गवास संवत् १९८८ में होगया। आपके स्वर्गवास होने के कुछ ही दिन पश्चात् इसी साल सेठ गजराजजी का भी स्वर्गवास होगया। भाप दोनों भाई अपनी मौजूदावस्था ही में अलग २ होगये थे। सेठ शिवजीरामजी के कोई पुत्र न था । अतएव पाली के पास हिमावस नामक स्थान से वा खबर दत्तक लिया गया। बा. खूबचन्दजी बड़े मिलनसार, उदार एवम् सहदय व्यक्ति हैं। व्यापार में भी आपका अच्छा ध्यान है। आजकल आपका व्यापार संवत् १९७८ से ही बीकानेर के प्रसिद्ध सेठ भैरोंदानजी सेठिया के साझे में हो रहा है। जिस फर्म का नाम मेसर्स खूबचन्द जुगराज पड़ता है इस नाम से कपड़ा तथा आदत का व्यापार होता है। तथा मेसर्स जुगराज रिधकरण के नाम से ३९ आर्मेनियम स्ट्रीट में जूट का म्यापार होता है। इसके अतिरिक्त खूबचन्द पूनमचन्द के नाम से बीकानेर में ऊन का व्यापार होता है। सेठ भैरोंदानजी खेठिया के नाम से उनके प्रेस में आपका साझा है। जो बीकानेर में है। ५११
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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