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________________ मोसवाल जाति का इतिहास में आपका बहुत बड़ा हाथ है। आपका हृदय वायदे के व्यापार के लिये बहुत खुला हुआ है। हजारों लाखों रुपयों की हार जीत करना आपके लिये बायें हाथ का खेल है। जिस समय आपकी खरीदी और बिकवाली शुरू होती है उस समय प्रायः सारे बाजार की निगाहें आपकी ओर रहती है, यहां तक कि आपके कारण बाजार में कई बार बड़ी घटा बढ़ी हो जाती है आपके इस समय जसकरणजी नामक एक पुत्र है। सेठ सूरजमलजी-आप मिलनसार और खुशमिजाज सज्जन हैं। आपको मकान बनाने का बहुत शौक है। आपने अपने डिजाइन द्वारा एक सुन्दर हवेली का निर्माण करवाया है। यह डिजाइन अच्छे २ इजीनियरों के डिजाइन का मुकाबला करने में समर्थ हो सकता है । भापके रणजीतसिंह, धनपतसिंह और मोहनसिंह नामक तीन पुत्र हैं। चंडालिया जयकरणदासजी चण्डालिया का परिवार, सरदारशहर इस परिवार वालों का पहले निवास स्थान सवाई (सरदार शहर से ३ मीक) नामक स्थान था। मगर जब से सरदार शहर बसा उसी समय से इस परिवार के प्रथम व्यक्ति सेठ जयकरनदासजी यहां आये। इनके तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रम से सेठ उम्मेदमलजी सेठ जीतमलजी भौर सेठ इन्द्रचंद जी थे। इनमें से प्रथम एवम् तृतीय दोनों सज्जनों ने मिलकर कलकत्ता में अपनी फर्म स्थापित की। तथा कपड़े का व्यापार प्रारम्भ किया। आप लोगों को इसमें अच्छी सफलता प्रास हुई। सेठ उम्मेदमल जी धार्मिक व्यक्ति थे। भापका प्रायः सारा समय धार्मिक काव्यों ही में खर्च होता था। सेठ इन्द्रचन्द्र जी इस खानदान में बड़े प्रतिभा सम्पन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति हुए। मापने पहां की पंच पंचायती में कई नये कानून बनाये जो अभी भी सुचारू रूप से चल रहे हैं। आपने एक शनीचरजी का मन्दिर तथा कुवा भी बनवाया। सरदारकाहर के बसाने में आपने बहुत कोशिश की। लिखना यह कि है आप उस समय के नामांकित व्यक्ति थे। आपका स्वर्गवास संवत् १९४३ में होगया। सेठ उम्मेदमलजी के तीन पुत्र हुए जिनके नाम सेठ कोड़ामलजी सेठ छोगमलजी और सेठ पोकरमलजी हैं। तथा सेठ इन्द्रचन्दजी के पुत्र सेठ शोभाचन्दजी चंडालिया थे । इस समय आप लोगों का व्यापार कलकत्ता में मेसर्स शोभाचन्द कोड़ामल के नाम से होता था। संवत् १९७२ में फिर भाई २ अलग होगये। और अपना अपना व्यापार स्वतंत्र रूप से करने लगे। सेठ कोड़ामलजी तथा छोगमलजी यहां के प्रसिद्ध व्यक्ति हुए। भाप लोगों ने व्यापार में भी अच्छी सफलता प्राप्त की। सेठ शोभाचंदजी भी अपने पिताजी की भांति बड़े नामांकित व्यक्ति हुए। आपका यहां की पंच पंचायती में बहत भाग रहा। आपका सारा जीवन एक प्रकार से पब्लिक सेवाओं ही में व्यतीत हआ। माप तीनों भाइयों का स्वर्गवास होगया। सेठ पोकरमलजी इस समय विद्यमान हैं आपकी अवस्था इस समय ७७ वर्ष के करीब है। अपने भाइयों से अलग होते ही आपने कलकत्ता में अपने पुत्रों के नाम से फर्म स्थापित करदी थी। जिस पर आज कपड़े का व्यापार हो रहा है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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