________________
पूंगलिया सैठ ताराचन्दजी और बीजराजजी-आप दोनों भाइयों ने भी व्यापार में बहुत तरकी की । एवम् अपने व्यापार को विस्तृत रूप से बढ़ाने के लिये फारबिसगंज, डोमार, मुरलीगंज और कलकत्ता आदि स्थानों पर अपनी शाखाएँ स्थापित कर जूट का व्यापार शुरू किया। इसमें आप लोगों को बहुत सफलता मिली। आप लोगों का यहाँ की जनता एवम् बीकानेर स्टेट में अच्छा सम्मान है। संवत् १९८५ में ताराचन्दजी का स्वर्गवास हो गया। आपके शेरमलजी, जयचन्दलालजी, विरदीचन्दजी और जीवराजजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें से शेरमलजी का स्वर्गवास हो गया। शेष बंधु व्यापार संचालन करते हैं। बांबू जयचन्दलालजी मिलनसार और उत्साही व्यक्ति हैं।
सेठ बींजराजजी के सात पुत्र हैं, जिनके नाम क्रमशः नेमीचन्दजी, मेघराजजी, धरमचन्दजी, माणकचन्दजी, रिधकरनजी, शुभकरनजी और पूनमचन्दजी हैं। इनमें से प्रथम तीन ब्यापार संचालन में योग देते हैं । शेष पढ़ते हैं। इस परिवार की डूंगरगढ़ में बहुत सी हवेलियां बनी हुई हैं। यह परिवार श्रीजैन तेरापंथी. संप्रदाय का अनुयावी है।
. सेठ गोकुलचंद कस्तूरचंद पूंगलिया, डूंगरगढ़
इस परिवार के लोगों का मूल निवास स्थान समक्सर ही था। वहाँ से संवत् १९४२ में सेठ अखयचन्दजी के पुत्र सेठ अर्जुनदासजी, शेरमलजी, गोकुलचन्दजी, दुलीचन्दजी और कालूरामजी श्रीडूंगरगद आये । कुछ समय के पश्चात् ये सब भाई अलग र हो गये । वर्तमान इतिहास सेठ गोकुलचन्दजी के वंश का है। सेठ गोकुलचन्दजी ही ने पहले पहल आसाम प्रान्त के गोलकगंज नामक स्थान पर जाकर जूट तथा गल्ले का प्यापार प्रारम्भ किया । आप बड़े प्रतिभावान व्यक्ति थे। आपने फर्म को बहुत तरकी की। कलकत्ता में भी आपने हस्तमल कस्तूरचन्द के नाम से फर्म स्थापित कर कपड़े का व्यापार प्रारम्भ किया। सम्वत् १९७२ में आपका स्वर्गवास हो गया । आपके हस्तमलजी, कस्तूरचन्दजी और बेगराजजी नामक तीन पुत्र हुए । आप लोग भी मिलनसार और व्यापार कुशल व्यक्ति थे। आप लोगों का स्वर्गवास हो गया। इस समय इस इस फर्म के मालिक सेठ कस्तूरचन्दनी के पुत्र बा तोलारामजी हैं। आप उत्साही नवयुवक हैं। आपने भी गौरीपुर में अपनी एक ब्रांच खोलकर उसपर जूट का काम प्रारम्भ किया है। आपकी फर्म का बीकानेर स्टेट में अच्छा सम्मान है।
सेठ नेमीचंदजी सरदारमल पूंगलिया, नागपुर इस परिवार का मूल निवास बीकानेर है। इस परिवार के पूर्वज सेठ दौलतरामजी पूलिया के कमीरामजी, मेरोंदानजी, सुगनचंदजी तथा जवाहरमरूजी नामक ७ पुत्र हुए। इनमें से सेठ मेरोंदानजी उँट की सवारी से लगभग १०० वर्ष पूर्व नागपूर आये। थोड़े समय बाद मापके छोटे भाई जवाहरमकजी भी नागपूर आ गये । आपके मझले भ्राता सुगनचन्दजी पनलिया अमरावती में सेठ मोजीराम बलदेव की दुकान पर प्रधाम मुनीम थे। तथा वहाँ वजनदार पुरुष माने जाते थे। सेठ भेरोंदानजी संवत् १९६० में
५५९