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चोरड़िया
सम्पत्ति उपार्जित कर समाज में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है। आप मशहूर सार्वजनिक कार्यकर्ता हैं । स्थानकवासी कान्फ्रेन्स, खादीप्रचार तथा अछूत आन्दोलन में आपने बहुतसा हिस्सा लिया है। आपने राष्ट्रीय कार्यों में सहयोग लेने के उपलक्ष में कारागृह वास भी किया था । आप अजमेर कांग्रेस के सभापति भी रहे थे। इस समय आप ऑल इण्डिया स्थानकवासी कान्फ्रेंस के जनरल सेक्रेटरी हैं । आपने अजमेर साधु सम्मेलन के समय अपनी ७० हजार की प्रापर्टी का दान, सार्वजनिक कामों में लगाने के लिये घोषित किया है । आपके पुत्र माधोसिंहजी चोरड़िया का अल्प वय में स्वर्गवास हो गया । आप बड़े होनहार थे । इस समय आपके पुत्र सोभागसिंहजी तथा फतेसिंहजी विद्यमान हैं। फतेसिंहजी बनारस युनिवर्सिटी में पढ़ते हैं ।
सेठ सुगनमल पाबूदान चोरड़िया, कुन्नूर (नील गिरी )
सेठ मेहरचन्दजी के छोटे पुत्र जसराजजी ने संवत् १९५२ में पली से आकर अपना निवास फलौदी में किया । संवत् १९५७ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके कुन्दनमलजी, सुगनमलजी. पाबूदानजी, अलसीदासजी तथा बख्तावरमलजी नामक ५ पुत्र हुए। इनमें सुगनमलजी, पाबूदानजी और अलसीदासजी मौजूद हैं। सेठ कुन्दनमलजी, मुन्नीलाल खुशालचन्द हैदराबाद वालों की दुकानों पर मुनीम थे । इनका संवत् १९५६ में स्वर्गवास हुआ। सुगनमलजी भी अपने भ्राता के साथ उन दुकानों पर मुख्यारी करते रहे । पश्चात् इन सब भाइयों ने कुन्नर (नीलगिरी) में दुकान खोली । संवत् १९७४ में इन बन्धुओं का कारवार अलग २ हो गया ।
सेठ सुगनमलजी का जन्म १९३२ में हुआ । इस समय आपके पुत्र मूलचन्दजी. गुलराजजी, किशनलालजी. दौलतरामजी तथा उदयराजजी हैं। आपके यहाँ सुगनमल गुलराज के नाम से कुन्नूर में बेडग कारबार होता है । सेठ पाबूदानजी का जन्म संवत् १९३९ में हुआ । आपने १९५८ में अलसीदास एण्ड ब्रदर्स के नाम से कुन्नूर में बेकिंग व्यापार शुरू किया । तथा व्यापार को आपने । तरक्की दी है। इधर १ वर्ष से आपने जसराज पाबूदान के नाम से कपड़े का अपना स्वतन्त्र व्यापार आरम्भ किया है । आपके पुत्र रतनलालजी, मेघराजजी तथा गुलाबचन्दजी हैं। आप बन्धुओं में से बड़े २ व्यापार में भाग लेते हैं। सेठ भलसीदासजी के पुत्र कुँवरलालजी तथा सुखलालजी हैं। इनके यहां अहमदाबाद में कपड़े का व्यापार होता है । यह परिवार फलौदी में अच्छी प्रतिष्ठा रखता है ।
सेठ गुलाबचन्दजी चोरड़िया का परिवार, भानपुरा
इस परिवार वाले सज्जनों का मूल निवास स्थान मेड़ता था । वहाँ से करीब १२५ वर्ष पूर्व सेठ उम्मेदमलजी भानपुरा ( इन्दौर) नामक स्थान पर आये । यहाँ आकर आपने साधारण व्यापार प्रारम्भ किया । इसमें आपको अच्छी सफलता मिली। आपके दो पुत्र हुए, जिनके नाम सेठ अमोलकचन्दजी और केसरीचंदजी था । अमोलकचन्दजी के तीन पुत्र हुए। जिनके नाम क्रमशः सेठ गुलाबचंदजी, फूलचन्दजी और रूपचन्दजी था । सेठ अमोलकचन्दजी ने अपने पुत्रों के साथ व्यापार में अच्छी सफलता प्राप्त की । आपका स्वर्गवास हो गया । पश्चात् आपके तीनों पुत्र अलग २ हो गये ।
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