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________________ बोहरा सेठ पीतमलजी चोरडिया-जिस समय भाप यहाँ दत्तक बाये उस समय इस खानदान की साधारण स्थिति थी। आपने अपनी व्यापार कुशलता से धौलपुर नामक स्थान पर अपनी फर्म स्थापित कर लाखों रुपये उपार्जित किये। आप बड़े साहसी और अग्रसोची व्यक्ति थे। धौलपुर रियासत में आपका अच्छा सम्मान था। वहाँ से आपको 'सेठ' की पदवी मी प्राप्त थी। आपका स्वर्गवास सन् १९०० में हो गया। आप बड़े उदार एवम् दानी सजन थे। आपके तीन पुत्र हुए, जिनके नाम क्रमशः जसवंतसिंहजी, बलवंतरायजी और अचलसिंहजी हैं। सेठ जसवन्तमलजी और बलवन्तरायजी-आप दोनों भाई भी व्यापार कुशल सज्जन थे। मापने अपने समय में फर्म की अच्छी उन्नति की । आप लोग मिलनसार और सज्जन व्यक्ति थे। सेठ जसवंतमलजी २८ वर्ष तक आगरा म्युनिसिपल के सदस्य रहे। इसके अतिरिक्त आप स्थानीय आनरेरी मजिस्ट्रेट भी रहे। आपको इमारतें बनवाने का बड़ा शौक था। यही मरण है आपने आगरा में लाखों रुपयों की इमारतें बनवाई। उनमें से पीतम मार्केट तथा जसवंत होस्टल विशेष प्रसिद्ध हैं। आप दोनों भाइयों का स्वर्गवास होगया। सेठ अचलसिंहजी-आपके दोनों भाइयों के स्वर्गवासी हो जाने के पश्चात् फर्म संचालन का सारा भार आप पर आ पड़ा। आरंभ से ही आप तीक्ष्ण बुद्धिवाले सज्जन थे। अपने भाइयों को विद्यमानता ही में आप देशसेवा एवम् समाज सेवा की ओर झुक गये थे। इतना ही नहीं इस ओर झुककर आपने इसमें काफी दिलचस्पी से काम किया । बचपन से ही आपका जीवन सभा सोसायटियों में व्यतीत होता रहा है। प्रारम्भ में आपने एथलेटिक क्लब और एक पब्लिक लायब्रेरी की स्थापना की। इसके बाद आपने कई संस्थाओं में योग प्रदान किया। सन् १९२० में आपने मृतप्रायः आगरा व्यापार समिति का पुर्नसंगठन किया और आप उसके आनरेरी सेक्रेटरी बनाये गये। आपके मित्र श्रीचंदजी दौनेरिया ने जो बीमा कंपनी स्थापित की उसके आप चेअरमेन हैं। आपही के प्रयत्न से आगरा में पीपल्स बैंक की शाखा स्थापित हुई। इसके भी आप प्रेसिडेण्ट और डायरेक्टर बनाए गये। इसके पश्चात् आप कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी, आगरा म्युनिसिपल बोर्ड के मेम्बर और यू०पी० कौंसिल में स्वराज्य पार्टी की ओर से मेम्बर निर्वाचित हुए थे । असहयोग आन्दोलन में आप कई बार जेलयात्रा कर आये हैं। आपने समय २ पर कई बार हजारों रुपये एकत्रित कर सार्वजनिक कार्यों में खर्च किये हैं। आप यू०पी० के सम्माननीय देशभक्त और आगरा के प्रमुख नेता हैं। आपका कई सार्वजनिक संस्थाओं से सम्बन्ध है। आपकी ओर से इस समय एक जैन छात्रालय चल रहा है। स्त्री शिक्षा के लिए भी आपने योग्य व्यवस्था की है। इसी प्रकार अचल. सेवा-संघ इत्यादि कई संघ स्थापित कर आपने आगरे के सार्वजनिक जीवन में एक ताज़गी की लहर पैदा कर दी है। जब मागरे में हिन्दू-मुसलिम दंगा हो गया था। उस समय इन लोगों की चोट को सहन करते हुए भी आपने शांति स्थापन की पूरी २ कोशिश की थी। जब सन् १९२५ में अति वर्षा के कारण भागरा तहसील में बाढ़ आ गई थी उस समय भी आपने जनता की रक्षा के लिये काफी प्रयत्न किया तथा धन, वस्त्र की सहायता हुँचाई। लिखने का मतलब यह है कि आपका जीवन प्रारम्भ से अभी तक सार्वजनिक सेवा,
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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