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श्रीसवाल जाति का इतिहास
सेठ राजरूपजी देवचन्दजी का परिवार - आप दोनों भाई बीकानेर में व्यवसाय करते रहे । आप लोगों का स्वर्गवास होगया । सेठ राजरूपजी के तीन पुत्र लखमीचन्दजी, दानमलजी और शंकरदासजी हुए। दानमलजी दत्तक चले गये । सेठ लखमीचन्दजी ग्वालपाड़ा का काम काज देखते रहे । आजकल आपके भँवरलालजी नामक एक पुत्र हैं। आप पढ़े लिखे सज्जन हैं । सेठ शंकरदानजी इस समय विद्यमान हैं। आपने अपने समय में फर्म की और भी शाखाएँ खोलकर उन्नति की। आपके इस समय भैरोंदानजी, अभयराजजी, सुभेराजजी, मेघराजजी और अगरचन्दजी नामक पुत्र हैं इनमें मेघराजजी दत्तक चले गये हैं । शेष सब लोग व्यवसाय का संचालन करते हैं। सेठ भेरोंदानजी के पुत्र का नाम भँवरलालजी हैं।
श्री अगरचन्दजी तथा भँवरलालजी को इतिहास का काफी शौक है। आपने अपनी निज की एक लायब्रेरी खोलरखी है। जिसमें १००० के करीब हस्त लिखित ग्रंथ हैं । अभय ग्रंथमाला के नाम से एक सिरीज निकालना भी प्रारम्भ की है।
साथ ही आप लोगों ने
इस परिवार का व्यापार इस समय कलकत्ता, बोलपुर सिलहट वगैरह २ स्थानों पर होता है । सरदार शहर का नाहटा परिवार
उपरोक्त नाहटा परिवार के पूर्व पुरुष सेठ हुकुमचन्दजी लाडनू से सरदार शहर में आकर बसे आपके सूरजमलजी हीरालालजी, बुधमलजी और चाँदमलजी नामक चार पुत्र हुए ।
सेठ बुधमलजी - आप बड़े प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे । संवत् १९१० में आपने कलकत्ता में सूरजमल बुधमल के नाम से अपनी फर्म स्थापित की। इसके पश्चात् आप सब भाई अलग २ हो गये । उसके पश्चात् संवत् १९२६ में दो भाइयों की सूरजमल चदमल के नाम से और दो की हीरालाल बुधमल के नाम से कपड़े की दुकानें स्थापित हुईं। इन चारों भाइयों का स्वर्गवास हो गया है और इनके वंशज इस समय अलग-अलग अपना कार बार करते हैं । सेठ सूरजमलजी का फर्म इस समय " सूरजमल धनराज" के नाम से चल रहा है। सेठ सूरजमलजी धनराजजी तथा धनराजजी के पुत्र शोभाचन्दजी स्वर्गवास हो गया है। शोभाचन्दजी के पुत्र बृद्धिचन्दजी वर्त्तमान में इस फर्म के मालिक हैं। आपके यहाँ १० ऑर्मेनियन स्ट्रीट में बैकिग कारबार होता है आपके एक पुत्र है जिनका नाम जीवनमलजी है ।
सेठ हीरालालजी के भैरोंदानजी चुनीलालजी और जुहारमलजी नामक तीन पुत्र हुए। आप लोग हीरालाल भैरोंदान के नाम से कपड़े का व्यापार करते रहे इन तीनों भाइयों का स्वर्गवास हो चुका है । सेठ मैदानजी के पुत्र बालचन्दजी इस समय लाइफ़ और फायर इन्स्यूरेंस की दलाली करते हैं। आप पूर्वीय और पश्चात्य दर्शनशास्त्रों के अच्छे जानकार हैं। लेखवकला में भी आप दक्ष हैं। आपके पुत्र का नाम पूनमचन्दजी है। सेठ चुन्नीलालजी के करणीदानजी और करणीदानजी के छगनमलजी नामक पुत्र
। जुहारमलजी के पुत्र मोतीलालजी हैं आप पाट की दलाली करते हैं। पाठ के व्यापारियों में आपका अच्छा सम्मान है । आपके प्सराजजी और शुभकरणजी नामक दो पुत्र हैं।
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