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___बाँठिया
मापने अच्छी सेवा की । संवत् १९८७ की सावण सुदीको बाप स्वर्गवासी हुए। आपके छोटे भाई क्रमशः १९५५ तथा ७२ में स्वर्गवासी हुए।
वर्तमान में सेठ पन्नालालजी रांका के पुत्र होरालालजी, पूनमचन्दजी तया वंशीलालजी और निहालचन्दजी रांका के पुत्र लादूरामजी विद्यमान है। सेठ हीरालालजी का जन्म संवत् १९५२ में हुआ। भाप चिंचवड विद्यालय की प्रबंधक कमेटी के मेम्बर और ग्राम पंचायत के प्रधान है। भाप स्थानक वासी भानाय के मानने वाले हैं तथा यहाँ के ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । आपके यहाँ कीरतमल पन्नालाल के नाम से अनाज का व्यापार होता है।
बांठिया बांठिया गौत्र की उत्पत्ति
ऐसा कहा जाता है कि संवत् १६० में रणथम्भोर के राजा लालसिंह पवार को उसके सात पुत्रों सहित आचार्य श्री जिनवल्लभसूरि ने जैन धर्म का प्रतिबोध दिया। उसके बड़े पुत्र का नाम वंठयोद्धार था, इन्हींके वंशज बांठिया कहलाये। इस वंश में संवत् १५०. के लगभग बादशाह हुमायूँ के समय में चिमनसिंहजी बांठिया नामक बढ़े प्रसिद्ध और धनवान व्यक्ति हुए। इन्होंने लाखों रुपये लगाकर कई जैन मन्दिरों का उद्धार करवाया और शत्रुजयका एक विशाल संघ निकाला जिसमें प्रति आदमी एक अकबरी मुहर लहाण में बांठी।
सेठ मौजीरामजी पाँठिया का खानदान भीनासर इस परिवार के लोग करीब संवत् १९१० में भिनासर में आकर बसे । - सेठ मौजीरामजी इस परिवार में सबसे अधिक प्रतिभा सम्पन व्यक्ति हुए। भाप ही ने लगभग ७५ वर्ष पूर्व कलकत्ता जाकर अपने और अपने छोटे भाई सेठ प्रेमराजजी के नाम से फर्म स्थापित की। मापने अपनी व्यापारिक कुशलता से फर्म की अच्छी उन्नति की। आपका स्वर्गवास सम्वत् १९४१ में हो गया। अप मन्दिर मार्गी जैनी थे-आप बड़े धर्म परायण थे। भापके सेठ पचालालजी नामक पुत्र हुए।
सेठ पन्नालालजी-आप सरल और शान्ति प्रकृति के पुरुष थे। व्यापार में भाप विशेष दिलचस्पी न रखते थे और अधिकतर अपने देश में ही रहा करते थे । आपके ३ पुत्र हुए सेठ सालिमचन्दजी, हमीरमलजी, और किशनचन्दजी । सेठ किशनचन्दजी कई वर्ष हुए इस फर्म से अलग हो गये हैं। इनमें से सेठ हमीरमलजी बड़े प्रतिभाशाली पुरुष थे। आपकी बुद्धिमत्ता से फर्म ने उत्तरोत्तर पति की। आपका जन्म सं. १९१९ में हुआ था। भाप बाईस सम्प्रदाय के जैनी ये और धर्म में भापकी बड़ी निष्टा थी, आपने अपने जीवन काल में बहुत सा रुपया सत्कार्यों में व्यय किया। यही नहीं बल्कि एक मोटी रकम ५१०००) रु. की एक मुश्त पुण्य खाते निकाल कर अलग फण्ड स्थापित किया और उसमें से समय २ पर अच्छे २ सार्वजनिक कार्यों में म्यप करते रहे। अभी भी इस फण्ड से एक कन्या पाठशाला सुचारुरूप से चल रही है, उसकी देख रेख सेठ सोहनलालजी और चम्पा
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