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________________ सीठया से श्री पानमलजी अपने पिताजी के साथ कागज के व्यवसाय में काम करते हैं तथा शेष दो बच्चे पढ़ते हैं । सेठ धीरजमलजी के दो पुत्र हैं जिनके नाम क्रम से भीखमचन्दजी तथा मूलचन्दजी हैं । इन दोनों भाइयों की ओर से धार्मिक, सार्वजनिक तथा परोपकार के कामों में काफी सहायता दी जाती है । सेठ फौज़मल बोरीदास रांका, मद्रास इस परिवार का मूल निवास स्थान बगड़ी सज्जनपुर ( मारवाड़ ) है । वहाँ से सेठ फौजमल जी रांका लगभग संवत् १९२९ में सेष्ट थाम्स् माउण्ट (मद्रास) में आये और लेनदेन का कारबार शुरू किया तथा अल्पकाल में ही आपने अपनी सम्पत्ति की आशातीत उन्नति की । सेंट थाम्स् माउण्ट दुकान के अलावा संवत् १९४५ में आपने चिन्ताद्विपेठ-मद्रास में भी एक सराफी दुकान खोली । आपके पुत्र सेठ बोरीदासजी रांका शिक्षित और सुयोग्य व्यक्ति थे । आप में अपने पिताजी के सब गुण मौजूद थे। आप संवत् १९६६ में स्वर्गवासी हुए। आपके सामने ही आपके पौत्र जीवराजजी तथा अमोलकचन्दजी राँका का अस्पवय में संवत् १९५६ के पहिले शरीरावसान हो गया था । अपनी दुकान की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हुए सेठ फौजमलजी राँका संवत् १९७२ में स्वर्गवासी हुए। सेठ फोजमलजी राँका के कोई सन्तान न रहने से आपने श्री छगनमलजी रौंका को गोद लिया । सेठ छगनमलजी रौँका का जन्म संवत् १९४८ में हुआ । मद्रास और बगड़ी के ओसवाल समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है आपने अनेक धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में प्रशंसनीय भाग लिया है। सेठ छगनभलजी ने अपनी माता की आज्ञानुसार बगड़ी में अमरे बकरों की रक्षा के लिए एक बाड़ा खोला है, जिसमें ३०० बकरों का पालन होता है बगढ़ी की श्मशान भूमि में एक धर्मशाला की बड़ी कमी थी अत एव आपने उक्त स्थान पर धर्मशाला बनवा कर जनता के लिये सुविधा की है। बगड़ी स्टेशन पर भी आपने एक विशाल धर्मशाला बनवाई है। बगड़ी में अछूत बालकों के सहायतार्थ आपने एक छोटी सी पाठशाला भी खोल रक्खी है । इसके सिवाय आपने श्री जैन पाठशाला बगड़ी, शान्ति पाठशाला पाली, जैन गुरुकुल ब्यावर, जैन ज्ञान पाठशाला उदयपुर को समय समय पर अच्छी आर्थिक सहायता दी है । आप के पुत्र धीरजमलजी १२ साल के तथा रेखचन्दजी १० साल के हैं। ये दोनों बालक होनहार प्रतीत होते हैं तथा शुद्ध खट्टर धारण करते हैं। छोटी वय में इन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया है। इस समय इस परिवार का मद्रास के सेठ थामस मांडण्ट तथा चिंतान्द्रि पैट नामक स्थान पर ब्याज का धंधा होता है । यह दुकान यहाँ अच्छी प्रतिष्ठित समझी जाती है । सेठ सूरजमल हंसराज, रांका ( सेठिया ) नाशिक इस परिवार का मूल निवास बीज वाड़ा ( जोधपुर के पास ) है । आप स्थानक वासी आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं। सेठ सूरजमलजी राँका ८० साल पहिले देश से नाशिक जिले के सिंदे नामक ४९१
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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