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मोसवाल जाति का इतिहास
बार को आपकी मातेश्वरी ने सम्हाला । सेठिया शुभकरणजी के पुत्र कन्हैयालालजी का जन्म संवत् १९४६ तथा आसकरणजी का संवत् १९४९ का है । सेठिया मोहनलालजी के दो पुत्र हुए जिनके नाम जसवन्तमलजी तथा सोहनमलजी था । इनमें से सेठिया जसवन्तमलजी के छोटे भ्राता सोहनमलजी का पोष सुदी २ संवत् १९८८ को स्वर्गवास हो गया। इस समय उपरोक्त फर्म के मालिक सेठ जसवन्तमलजी हैं।
___ जसवन्तमलजी सेठिया-आपका जन्म पौष सुद६ संवत् १९६५ में हुआ । आप बड़े सजन, उच्च विचारों के तथा उदार हृदय के व्यक्ति हैं। इस कम उम्र में ही आपने फर्म के काम को बहुत अच्छीतरह से सम्हाल लिया है। आपका विद्या प्रेम बहुत ही सराहनीय है। आपने पट्टालम सूला में दी जैन मोहन स्कूल के नामसे एक स्कूल अपनी ओरसे कायमकर रक्खा है । आप प्रायः सभी सार्वजनिक, परोपकारी तथा धार्मिक कार्यों में सहायता देते रहते हैं। यहाँ यह लिखना आवश्यक है कि आप ओसर मोसर भादि सामाजिक कुरीतियों के बहुत खिलाफ हैं । आप इस समय मेसर्स वख्तावरमल मोहनलाल के मालिक हैं। आपकी दुकान पट्टालम सूला में सब से बड़ी तथा मद्रास की खास २ दुकानों में गिनी जाती है।
सेठिया शुभकरणजी के पुत्र आसकरणजी का जन्म संवत् १९४९ की जेठ सुदी ५ का है। आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः नेमकरणजी तथा सजनकरणजी हैं। आप इस समय मेसर्स शुभकरण आसकरण के मालिक हैं।
सेठ हजारीमल केवलचन्द (नाग) सेठिया, मुदरान्तकम् (मद्रास)
इस परिवार का पूर्व इतिहास सेठ बख्तावरमलजी मोहनलालजी के परिचय में दिया गया है। इस परिवार में सेठ कपूरचन्दजी के पुत्र मुगदासजी तथा पौत्र गिरधारीमलजी हुए। सेठ गिरधारीमलजी के हिम्मतरामजी तथा जगरूपमलजी नामक २ पुत्र हुए। इन दोनों का स्वर्गवास संवत् १९३५ तथा ५० में हुआ। हिम्मतरामजी को बलूदे ठाकुर ने “नगर सेठ" की पदवी दी थी।
देश से व्यापार के लिये सेठ हिम्मतरामजी तथा जगरूपमलजी संवत् १८७४ में जालना आये। तथा पल्टन के साथ लेनदेन का कार्य आरम्भ किया। हिम्मतरामजी के पुत्र हजारीमलजी हुए। इनका स्वर्गवास १९५३ में ५२ साल की आयु में हुआ। आपके हीरालालजी, जसराजजी, केवलचंदजी, तथा माणिकचन्दजी नामक पुत्र हुए। इनमें माणकचन्दजी, जगरूपमलजी के नाम पर दत्तक गये। इस समय जगरूपमलजी का परिवार जालने में जगरूपमल मगनीराम तथा जगरूपमल माणिकचन्द के नाम से व्यापार करता है। मगनीरामजी के पुत्र मोहनलालजी तथा माणकचन्दजी के पुत्र सुगनचन्दजी हैं।
सेठ केवलचन्दजी का जन्म सं० १९४६ में हुआ। आप १९६६ में मदुरान्तकम् आये। तथा यहां सराफो व्यापार चालू किया । आप से बड़े भाई हीरालालजी तथा जसराजजी का जन्म क्रमशः १९२६ तथा १९४३ में हुआ। इस परिवार का मदुरान्तकम् में जे० माणिकचन्द तथा हजारीमल केवल. के नाम से त्रिविकोलर में जसराज पुखराज तथा माणिकचन्द सुगनचन्द के नाम से और वलंदे में हीरालाल जसराज के नाम से व्यापार होता है। हीरालालजी के पुत्र कनकमलजी तथा पुखराजजी, और सेठ जसराजजी के पुत्र रिखवचंदजी तथा सूरजकरणजी हैं । यह परिवार बलंदा में भन्छी प्रतिष्ठा रखता हैं।