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इस परिवार में सेठ माणिकचन्दजी हुए । आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम छोगामलजी और हजारीमलजी थे। सेठ हजारीमलजी साहसी तथा होशियार पुरुष थे। आप देश से संवत् १९३० में व्यापार के निमित्त हैदराबाद आये। यहाँ पर आपने बहुत रुपया कमाया। आपका स्वर्गवास १९३८ में हुभा। भापके मगनमलजी नामक एक पुत्र हुए।
सेठ मगनमलजी-आपका जन्म संवत् १९11 में हुआ था। मापने मेससं धीरजी चांदमल के यहाँ सिकन्दराबाद में सर्विस की । आप संवत् १९६३ में स्वर्गवासी हुए। आपके पूनमचन्दजी, समरथमलजी, उदराजजी, विशनलालजी, सोहनराजजी, जेठमलजी और गजराजजी नामक • पुत्र हुए । जिनमें सोहनराजजी तथा जेठमलजी का अल्पायु में स्वर्गवास हो गया। सोहनराजजी के नाम पर गजराजजी दत्तक गये हैं।
सेठ पूनमचन्दजी-आप सेठ खुशालचन्दजी गोलेछा के यहाँ मुनीम थे। उनके यहाँ २० साल नौकरी करने के बाद संवत् १९६६ में मगनमल पूनमचन्द के नाम से टिंडिवरम् में एक फर्म स्थापित की इसके बाद सेठ खुशालचन्दजी के साझे में टिंडिवरम् तथा पनरोटी में फमें स्थापित की। ये करीब १५ वर्षों तक बराबर साझे में चलती रही। इसके बाद आपने टिण्डिवरम्, पनरोटी, और मापावरम् में अपनी घरू दुकानें खोली। पूनमचन्दजी बड़े धार्मिक और परोपकारी पुरुष थे। जीवदया के लिये पर्युषण पर्व में 'आप प्रति वर्ष सैकड़ों रुपया खर्च करते थे। आपने फलौदी में दो स्वामिवत्सल और एक उजवणा बड़े ठाट बाट से किया जिसमें करीब १५०००) खर्च हुए होंगे । आपका स्वर्गवास संवत् १९८९ की माह बदी २ को एकाएक हो गया।
समरथलालजी का जन्म संवत् १९३४ में हुआ। आपने मद्रास में संवत् १९५० में मेसर्स मगनमल पूनमचन्द के नाम से फर्म स्थापित की। आपके दो पुत्र हुए जिनके नाम चम्पालालजी तथा विजैलालजी हैं । चम्पालालजी का जन्म संवत १९६६ का तथा बिजैलालजी का सम्वत् १९६९ का है। इनमें से चम्पालालजी पूनमचन्दजी के यहाँ पर दत्तक गये हैं। उदैराजजी का जन्म सम्बत् १९३९ का है। शुरू २ में आपने श्री सेठ खुशालचन्दजी के यहाँ सर्विस की। दुकान करने के बाद आपने भी सर्विस छोड़ दी। आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम लालचन्दजी और केशरीलालजी हैं। लालचन्दजो का जन्म सम्बत् १९६६ का तथा केशरीलालजी का संवत् १९७२ का है।
विशनराजजी का जन्म सम्वत् १९४४ का है। भाप भी अपने भाइयों के साथ व्यापार करते हैं। आपके तीन पुत्र हैं जिनके नाम गुलाबचन्दजी, मंगलचन्दजी तथा उम्मैदमलजी हैं। इनमें से