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________________ . * तीर्थ पर आयोजित होने वाले उत्सव* ' किसी भी तीर्थ स्थल पर आयोजित होने वाले उटसव, हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति के संवाहक है । भोपावार तीर्थ स्थल पर प्रतिवर्ष मुख्य रूप से टीन उटसवों का आयोजन किया जाता है। प्रथम उटसव : श्री पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक उत्सव है, जो पौष विदि दशमी को मनाया जाता है। इस अवसर पर त्रिदिवसीय (नवमी, दसमी, ग्यारस) महोटसव का आयोजन किया जाता है। तीन दिनों तक पूजा, रथयात्रा, भगवान की अंगरचना, रात्रि में भक्तिभावना व रोशनी आदि की जाती है, एवं स्वामीवाटसल का आयोजन होता है । सम्पूर्ण भारत वर्ष से दर्शनार्थी पुण्यफल प्राप्त करने हेतु इस उत्सव में आते है। इस अवसर पर अनेक लोग अपनी मनोकामनाएँ लेकर आते हैं। और उनकी मनोकामनाएँपूर्ण भी होती हैं। यहाँ के अधिष्ठायक देव जागृत हैं; वे भी अपना निजी उत्सव यहाँ रचाते हैं। इस अवसर पर यहाँ पर तीन दिवसीय आकर्षक मेला भी लगता है; जिसमें हजारों जैन एवं जैनेत्तर बंधु मेले का आनंद उठाते हैं। मेले में अनेक आकर्षक दुकाने एवं स्वस्थ मनोरंजन के अनेक साधन दूरांचलों से आते है। इन दिनों उटसव में आने के लिए राजगढ़ एवं सरदारपुरनठार से स्पेशलवाहन सुविधा उपलब्ध रहती है। दूसरा उटसव : यह होली के दूसरे दिन आयोजित होता है। इस दिन आदिवासी लोग बड़े भक्ति-भावना से मन्दिर में आते हैं तथा भगवान के दर्शन करते है। वे मन्दिर की परिक्रमा कर , स्वस्तिक बनाकर अपनी आस्था प्रकट करते है। टीसरा उत्सव :ज्येष्ठ विदि 13 (गुजराती) को मनाया जाता है। इस दिन भोपावर तीर्थ के मूलनायक भगवान श्री शान्तिनाथजी काजन्मकल्याणकएवं मोक्ष कल्याणक महोटसव अत्यन्त उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर अनेक उटसव मनाए जाते हैं। प्रतिवर्ष इस तीर्थ स्थल पर वाहन एवं पैदल संघ आते हैं। -(32
SR No.032639
Book TitleBhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashwant Chauhan
PublisherShantinath Jain Shwetambar Mandir Trust
Publication Year
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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