SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * तीर्थ का जीर्णोद्धार * Ke जिन शासन की गौरवगाथा को प्रतिबिंबित करने वाला श्री भोपावर महातीर्थ लगभग 87000 वर्ष प्राचीन है। मालवा के मस्तक पर तिलक स्वरूप यह तीर्थजैन धर्म का यशोगान करते हुए शान्ति की श्रद्धास्थली बन गया है। इस तीर्थ का तीर्थोद्धार वर्तमान युग की एक महान धार्मिक घटना है। इस तीर्थ के विकास की यात्रा बहुत लम्बी है। संवत 1978 में पूज्य आचार्य आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराज, प्रातः स्मरणीय गणधर भगवन्त श्री सुधर्मा स्वामीजी की पुण्यवंती पाट परंपरा में आये हुए पूज्य श्रीसागरानंद सूरीश्वरजी महाराज और पन्यास प्रवर श्री मोतीविजयजी महाराज आदि गुरू भगवंतों ने इस तीर्थ के विकास के कार्य को आगे बढ़ाया और यह तीर्थ सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्धि पाने लगा। इस तीर्थ के उदभव से लगाकर अब तक इतिहास ने कई करवटें बदली हैं। अत्यंत प्राचीन होने के कारण यह तीर्थ अत्यंत ही जीर्ण अवस्था में पहुंच चुका था, इसलिए इसका जीर्णोद्धार (23)
SR No.032639
Book TitleBhopavar Tirth ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashwant Chauhan
PublisherShantinath Jain Shwetambar Mandir Trust
Publication Year
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy